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3 -3 - - ५२ चतुर्दशखा।

को रोग होना न चाहियं आर पी तुल्य भजन देना चाहय, पक्षपात से एक का उत्तम और दूसरे को निशष्ट जैसा कि राजा और कंगने को श्रेष्ठ निकट भोजन मिलता है होना चाहिये ।जब परमेश्वर ही खिलाने पिलाने और पथ्य करनेवाला है तो रोग न ही न होना चाहिये परन्तु पलन आदि को भी रोग होते हैं, यदि खुद ही रोग उपखाना के चाहिये उठकर आराम करनेवाला है तो शरीर में रोग न रहना । यदि प रहता है तो खुदा पूरा वैद्य नहीं है ।यदि पूरा वैद्य है तो मुसल मानों के शरीर में रोग क्यों रहते हैं " यदि वही मारता और जि लाता है तो उस खुदा को पाप पुण्य लगता होगा। यदि जन्म जन्मान्तर के कनुसार व्यवस्था करता है तो उसका कुछ भी आप राध नहीं। यदि वह पाप क्षमा पर न्याय कयामत की रात में करता है तो खुदृ पाप मढनेवाला होकर पापयुक्त होगा यदि क्षमा नहीं करता तो यह कुरान की बात झूठी होने से बच नहीं सकती है । ११७ ॥ ११८- हिीं तू अमादम मानिन्द हमारी बस में आ कुछ निशान जो है तू सच्चों से ॥ कहा यह ऊंटनी के वास्ते उस पानी पीना है एक बार ॥ मं० ५ ।०ि १९। सू० २६ । आ० १५० । १५१ ॥ का समीक्षक . भरता इस बात को कोई मान सकता है कि पथरचे ऊंटनी निकले वे लोग जंगली थे कि जिन्होंने इस बात को मान लिया और ऊंटनी की निशानी देनी केवल जंगली व्यवहार है ईश्वरकृत नहीं यदि य8 किताब ईश्वर कृत होती तो ऐसी यथे या इसमें न तो ll १ १८ ॥ ११९-ऐ मूर्ण बात यह है कि निश्चय में अल्लाद हुं गालिब ॥ और डाल दे असा अपना बख जब कि देखा उसको हिलता था मानो कि वह सांप है ऐ मूसा सब डर निश्चय नही डरते समीप रे बैग़म्बर ॥ अलाद्द नहीं कोई मसूद परन्तु वह मलिक कि अश बढ़े का ॥ यद के संत सरकश करt पर मर आर चत अझा रे पास मुस लमान होकर ॥ सं० ५ 1 खि० १९ I - २७ । अ० छ । १० 1 २६ से ३१ ! समीक्षा और भी देखिये अपने मुख अप अलrk गड़ा जनरल बनता है, आपने ा से अपनी प्रशंसा करना ठ पुरुष का भी काम न हुई तो दा का कर हो कता है १ तभी से इन्कशाल का लट दिखला जंगली मनुष्यों को वश कर आप जंगल खुद्दा बन बैठा। ऐसी बात ईश्वर के पुश्व में कमी नहीं हो पा आदी यदि वह बड़े अव अ आत् सातवें आस मान का मालिक है तो व ए देशी होने से ईर