पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/६०१

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चतुनमुट्ास: ५ ५ से पिता मियाभाषणादि करने की आज्ञा देखे तो क्या मान लेना चाहिये १इसलिये यह वात आधी अच्छी और अधी बुरी है । क्या नूई आदि पैग़म्बरों ही को खुदा है सार में भेजता है तो अन्य जीवों को कौन भेजता है? यदि सबको वही भेजता है। तो सभी पैग़म्बर क्यों नहीं ? और प्रथम मनुष्यों की हज़ार वर्ष की अायु होती । थी तो अब क्यों नहीं होती १ इसलिये यह बात ठीक नहीं : १२२ ॥ १२३—अलाइ पहिली बार करता है उत्पत्ति फिर दूसरी बार करेगा उसको फिर उसी की औोर फेर जाओगे ॥ और जिस दिन वर्षों अर्थात् खड़ी होगो क़यामत निराश होंगे पापी ॥ बच जो लोग iके ईमान छाये आर काम किये अच्छे बख वे बीच बाग के सिंगार किये जायेंगे ।॥ और जो भेज दें इम एक बाव बख देखें दुख खेती को पीती हुई ॥ इसी प्रकार मोहर रखता है आचाहू ऊपर दिलों उन लोगों के कि नहीं जानते। सं० ५। खि० २१ । सू’ ३० । आ० १० । ११ । १४ ।५० से ५८ ॥ समीक्षक-यदि अल्ताह दो वार उत्पात्ति करता है तीसरी बार नहीं तो उत्पत्ति की आादि कर दूसरी वार के अन्त में निकम्मा बैठा रहता होगा? और एक तथा दो वार उत्पत्ति के पश्वात् उप का सायनिक निकम्मा और व्यर्थ हजायगा यदि न्याय करने के दिन पापी छोग निराश हों वो अच्छी बात है परन्तु इसका आयोजन यह खो कहीं नहीं है कि मुसलमानों के सिवाय सब पापी सस कर निराश किये जायं १ क्योंकि कुरान में कई स्थानों में पापियों से औरों का ही प्रयोजन है । यदि बगीचे में रखना और श्ार पहिराना ही मुसलमानों का स्वर्ग है तो इस संसार के तुल्य हुआ और वहां माली और सुनार भी होंगे अथवा खुदा हीं साली और सुनार आदि का काम करता होगा यदि किसी को कम गहना मिलता होगा तो चोरी भी होती होगी और बहिश्त से चोरी करनेवालों को दोजख में भी डालता होगा, यदि ऐसा होता होगा तो सदा बहित में रहेंगे यह याद झूठ हजायगी, जो किसानों की खेती पर भी खुदा की दृष्टि है तो यह विद्या खेती करने के अनुभव ही से होती है और यदि मानाजाय कि } खुदा ने अपनी विद्या ये सब बात जानती है तो ऐसा भय देन अपना घमण्ड प्रसिद्ध 1 करना है । यदि अल्लाह ने जीवों के दिलों पर मोहर लगा पाप करया तो उस पापका भागी वही व जीव नहीं हो सकते जैसे जय पराजय खेताश का होता है वैसे ये, सब पाप खुदा ही को प्राप्त होवें ॥ १२३ ॥ १२४-ये आयतें हैं किताब इिक्मतवाले की ।॥ उत्पन्न किया अमानों को विना थे ।