पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/६०२

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e o श: t सुकून अथात् स्वभ दखत हा हम उसका आर डाल बच पाथवों के पहाड़ ऐसा न ! हो कि हिल जाये से क्या नहीं देखा तू ने यह कि अल्जाइ प्रवेश कराता है रातो बीच दिन और प्रवेश कराता है कि दिनको बीच रात के ॥ क्या नहीं देखा कि कि- श्तियां चलती हैं बीच वष्य के साथ निआमतों अल्लाह के हो कि दिलावें तुमको निशानियां अपनी ।। म० ५ । खि० २१ । सू० ३१ । आ० १ 1 ९ । १८ 1 ३०। है समोक्षक-वाहजी वाहू ! हिक्मतवाली किताब ! कि जिसमें सर्वथा विद्या से विरुद्ध आकाश की उत्पतेि और उसमें खंभे लगाने की शंका और पृथिवी को स्थिर रखने के लिये पहाड़ रखता ! थोड़ीसी विद्यावाला भी ऐसा लेख कभी नहीं करता और न मानता और हिक्मत देवो कि जहां दिन है वहां रात नहीं और जहां रात वहां दिन नहीं उख को एक दूसरे में प्रवेश कराना लिखता है यह बड़े विद्वानों की बात है इसलिये यह कुरान विद्या की पुस्तक नहीं सकती क्या यह विद्यात्रियड बात नहीं है कि नौका मनुष्य और क्रिया कौशलादि से चलती है वा खुदा की कृपा से यदि लोहे व पत्थरों की नौका बनाकर समुद्र में चलाये तो खुद की निशानी व जाय वा नहीं १ इसलिये यह पुस्तक न िद्वान् और न ईश्वर का बनाया हुआ हो सकता है ॥ १२४ ॥ १२५- तदबीर करता है काम की आसमान से सर्फ थिवी की फिर चढ़ जाता हैत उसकी बीच एक दिन के कि है अवधि ड सर्फी सहन वर्ष उन वर्षों से कि गिमते हो तुम ॥ यह है जाननेवाला व का और प्रत्यक्ष का ग़ालिब दयाछ ॥ फिर पुष्ट किया उसको और झूठा बीच उसके रूख़ अपन से कहू कब्ज़ करेगा तुम को रिझरा मौत वह जो हम का नियत किया गया है साथ तुम्हारे । और जो चाहते अवश्य देते हम इरएक जीव को शिक्षा उसकी परन्तु द्धि हुई बात मेरी ओर से कि आवश्य भगंगा में दोजख को जिलों से और भादमियों से इकट्ठ॥ ने° ५।f २१ । सू २ ३२ । आा & I 31 ७ व ९ व ११ ॥ समीड़-भव ठीक चिद होगया कि मुसलमानों का खुदा मनुष्यवत् एक देशी है क्योंकि जो व्यापक होता तो एकदेश से प्रबन्ध करना और युवरना घटना नहीं हो सकता यदि खुदा फ़रिश्ते को भेजता है तो भी आप एकदेशी होगया | आप अपमा पर हूँगा बैठा है। और रिश्तों को दौड़ता है। यदि फरिश्ते रिश्वत लेकर