पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/६०८

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६०६ आस्य।lषक(श: ! मेरे दी दे रख दिन में िउठाये ज।वेंगे उर्दे ॥ कहा कि गढ़ निश्चय क् ढी दिये गों से ३ ॥ ठ दिन घथ ज्ञात तक 1 हा कि ऐसे कम है प्रतिष्ठा वेरी कि अवधेय गुमरuहूं +ढंग उन में इंडे ॥ है० ६।f, २३ 1 सू• २८ मह० ४३ ! ४४। ४५, ६३ ६४ । ६५। ६६, ६७ । ६८। ६६ से ७० से ७१ । ७९ ॥ ! - द्र म-यदि व३ थे कि कुcrन में ब। बगीचे नहरें मकान।दि लिखे है वैये हैं वो वे न सट्टा से ये न खदा दे सकते हैं क्योंकि जो संयोग से पदार्थ होता है वह संयोग के पूर्व न या अवश्य भावी वियोग के अन्त में न रहेगा, जब वह वैश्वि ही न रहेगी तो उgमें रहनेवाले सदा क् कर रहसकते हैं ? क्योंकि शिक्षा है कि गtदी तकिये वे और सीने के पदार्थ व भिलगे इससे यहू चिढ़ होता है कि जिस समय म व मर्यों का मजहब चला उस समय आई देश विशेप धनब्थ न था इofत ये मुम्दू वrच ने तथेि आदि की कथा सुनाकर गुर्भ को अपने मत में कें लिया और जa iया हैं वह निरन्स पुख क३ १वे नैया वar कक्षा के भाई हैं मैं अथवा बहित की इनेवाली हैं यदि ।ई हैं तो जfी और जो वहां की रहने वाली है तो कृयासत के पूर्व दा करती थीं या िभी अपनी उमर को बह रer थीं ? अब दे लिये खुदा ा वे ज्ञ कि जिनका हुक व अन्य व फ़रि२ों ने म। और मादम साठ हेब को नमस्कार किया र शैतान ने न माना खुदा ने शेखान से पूछा कहा कि मैंने उसको अपने दोनों हाथों से व नाया त अभिमन मद कर इसे सिद्ध होता है कि कुरान का खुदा दो हाथ वाता मनुष्य था इसलिये वह व्यापक का सर्वशक्तिमान् कभी नहीं हो सका और शैतान ने सस्य कहा कि मैं आदम से उत्तम हूं इस पर खुद ने गुस्सा क्यों किया १ क्या था मान ही में खुदा का घर ३१ यिवी में नहीं ? तो कावे को खुदा का घर प्रथम दयों लिखा १ भला परमेश्वर अपने में से वा भ्रष्ट में हैं आतंग आंखें निकल सकता है १ और व६ सृष्टि सष परमेश्वर की है इसके विवित हुआ कि कुरान का खुद बहिश्त का जिम्मेदार था खुदा ने उसको लानत धिक्कार दिया और लिया कि मालिक ! मुभको कृयामव केंद्र कर और शैतान ने कहा हे तक छोड़ दे खुदा ने खुशामद से कृ यामत के दिन तक छोड़ दिया जब शैतान छूटा दो डूबा कहता है कि अब मैं व बड़काऊँगा और ग़र से चार्ज सब कहा कि जितने को तू बहकावेगा में उन को हेज़ले में दंगा और नुक्की उत्ल भी 1 अप रजन औोगो विड़िये Iसे वान को कशनेवात खुद