पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/६१०

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०८ सत्यार्थप्रकृश: ! क्षमा करना अत्यन्त अधर्म है किन्तु इसी से मु पलमान लोग पrष और उपद्रव करने में में कम डरते हैं 1 १३५ ! १३६ख नियत किया उसको सात छापाम बीच दो दिन के और डाल दिया हमने बीच उसके काम ठ का ॥ यहांतक कि जब जावेंगे उसके पास साक्षी देंगे और उनके कान उनके और आंखें उनकी और च मड़े उनके उनके कर्म से ॥ और कहेंगे वास्ते चमड़े अपने के क्यों साक्षी दी तूने ऊपर हमारे कहेंगे कि बुलावा है हम को अल्ला ने जितने बुलाया हर वस्तु को ॥ अवश्य जिलाने वाला है मुद्दों को ॥ में ० ६। खि० २४ । सू२ ४१ । आ० १२। २० से २१ से ३९ ॥ समीक्षक-वाइजी वाह मुठत मानो ! तुम्हारा खुदा जिससको तुम सर्वशक्तिमान मानते हो तो बहू साव अवमानों को दो दिन में बना सका ? वस्तुतः जो सर्वशविमान- है वह क्षणमात्र में सब वो व ना सकता है। भला कान, आंख और चमड़े को ईश्वर ने जड बनाया है वे दक्ष कैसे दे ख का ग १ यदि सात दिलावें प्रथम जड़ तो उसने क्यों व नाये १ और अपना पूर्वीपर नियमविरुद्ध क्यों किया ? एक इससे भी बढ़ कर मिथ्या बात यह है कि जन जीवों पर स। दी तव से जीव आपने २ चमड़े से पूछने लगे कि तूने हमारे पर साक्षी क्यों दी ? मड़ा बोलेगा कि खुदा ने दिलाई से च । क्या करू भला यह बात कभी हो सकती है १ से कोई कहे कि बन्या के पुत्र का सूब मैंने देखा यदि तो १ जो है तो उसके पुत्र ही होना पुत्र है वन्या क्यों बन्ध्या असम्भव है इसी प्रकार की यह भी मिथ्या बात है। यदि वइ सुर्यों कोजिलाता तो प्रथम मारा ही क्यों ? क्या आप भी मुद हो सकता है वा नहीं ? यदि नहीं हो सकता तो मुड़ेपन को बुरा क्षे सम मचा है? और क़यामत की रात वक मृतक जीव वि शु पक मान के घर में रहेंगे ? और दा ने वि ा प पराध क् दौरासुपुर्दे रक्खा ! शीघ्र न्याय क्यों न किया ? ऐसी २ बातों से ईश्वरता में बट्टा लगता है ॥ ॥ १ ३६ १३७बान्चे उस कूजियां हैं मसमानों की और पथिवी को खोलता हूं । - ' भान िव याते चाहता है और तंग करता है ॥ उत्पन्न करता है जो कुछ चाहता ' है और देता है eि Sो चाहे पेटियां र देता है कि वो चाहे वेटे 11 वा मिला देता है। नो बेटे बेटिया र कर देता है जिसको चाहे वां 1 और नहीं है शछि किसी = १६र डी टू मदद कर राखे सल्लई परन्तु जी में डालने कर व पछ पर