पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/६१४

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६१२ आगामका: 1 hिe . - ७ ५ कोई विरुद्ध बोलेगा यथेष्ट सेव करेंगे और जानवरों तथा पक्षियों के मन से भी आगे तो अनेक प्रकार के टु ,पक्षी, जानवर व वो होंगे इत्या होगी और हाड़ जहां तहां गि खरे रहेंगे और कसाइयों की दुकानें भी होंगी वाह क्या कहना इनके बहिश्त की प्रशंसा कि वह अरबदेश से भी बढ़कर दीखती है !!! और जो मद्य मठ पी का के उन्मत्त होते हैं इसलिये अच्छी २ बियां और लौंडे भी वहां अवश्य रहने चाहियें नहीं तो एसे नशेबाजों के शिर में गरमी चढ़के प्रमन होजावें । अवश्य बहुत ही पुरुषों के बैठने स्ट्रोने के लिये विछौने बढ़े २ चाहियें जब खुदा कु मारियों को गईिश्व में उत्पन्न करता है तभी तो कुमार लडकों को भी उत्पन्न करता है भला कुमारियों का तो विवाह जो यहां से उम्मेदवार होकर गये हैं उनके साथ खुदा ने लिखा पर कन सदा रहनेवाले लड़के का किन्हीं कुमारियों के साथ विवाई न लिखा तो क्या वे भी उन्हीं उम्मेदवारों के साथ कुमारीवत् दे दिये जायंगे १ इसकी व्यवस्था कुछ भी न लिखी यह खुद में बड़ी भूल क्यों हुई १ यदि बराबर अवस्था वाली सुहागिन जिया पतियों को पके बईिश्त में रहती हैं तो ठीक नहीं हुआ क्योंकि विों से पुरुष का आयु दूना ढाईगुना चाहिये यह तो मुसलमानों के बहिश्त की कथा है। और नरक वाले सिंहोड़ अयोंतू थोर के वृद्दों को खाके पेट भरेंगे तो कण्ट वृक्ष भी दोजक में होंगे तो काटे भी लमते होंगे और गर्म पानी पियेंगे इत्यादि दुःख दोजख में पाव। कृखम का खाना प्रायः झूठों का काम है सच्चों का नहीं यदि खुद ही कम जाता है तो वह भी झूठ से अलग नहीं हो सकता t १४१ ॥ १४२—निश्चय अलाइ मित्र रखता है उन लोगों को कि लड़के ई बीच मार्ग उके के में ० ७ 1 खि० २८। सू० ५६ । आ० 8 ॥ टाट्ठा ठीक है ऐसी २ वार्यों का उपदेश करके विवेचारे अरब देशवासियों को खप से ताके शत्रु बनाकर परस्पर दुःख दिलाया और मांग का अंडा खाना इरके लड़ाई फैलावे ऐडे को कोई बुद्धिमान् ईश्वर कभी नहीं मान सकते जो जाति में विरोध में वही सबको दु खदाता ांता है ॥ १४२ ॥ १४३. -५ नवीं क् हरम करता है व वस्तु ो कि छल किया हर ने त, जिसे चाहता है न् खन्ना भी अपनी की औौर अस्लाइ क्षमा करनेवा ? ऐसा 1 जुड़ी है मtति का जो वह तुम को छोड़ दे तो, यहूं कि उस को ठतों ड 1 माग और ईम बालिया बयिक यदल में सेवा करने वतियां वो: रन,