पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/८८

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तृतीयसमुल्लास ॥ ७५ मैं - - ट ब्रह्मचर्पण कन्या में युवा बिन्द, पतिष ॥ अथव॰ है ० ० २४ । आ० ३ । म० १८ ११ । ॥ । जैसे लड़के ब्रह्मचर्य सेवन से पूर्ण विद्या और सुशिक्षा को प्राप्त होके युवति, विदुषी, अपने अनुकूल प्रिय सदृश नियों के साथ विवाह करते हैं वंस ( कन्या कुमारी ( ब्रह्मचर्पण ) ब्रह्मचर्य सेवन से बेद्यादि शात्रों को पढ़ पूर्ण विद्या और उत्तम शिक्षा को प्राप्त युवति हो के पूर्ण युवावस्था से अपने सदृश प्रिय विद्वान ( युवान ) पूर्ण युवावस्थायुक्त पुरुष को ( विन्दते ) प्राप्त होते इसलिये स्त्रियों को भी ब्रह्मचथ्र्य और विद्या का प्रण अवश्य करना चाहिये ( प्रश्न ) क्या स्त्री लोग भी वेदो को पट्टे ? (उत्तर ) अवश्य, देखो औत सूत्रादि से. इस पत्नी पठेत्र ॥ अथार्टी स्त्री य ने इस सत्र को पढ़े । जो वे दादि शानो को न पढी होवे तो यज्ञ में स्वर सहित मन्त्रों का उच्चारण और संस्कृतभाषण कैसे कर सके भारतवर्ष की वियो में भूषणरूप गार्गी आदि वेद्यादि शाबों को पढ़ के पूर्ण विदुपी हुई थी यह शतपथत्राहण में स्पष्ट लिखा है । भला जो पुरुष चिढ़ा और स्त्री अविदुषी और ली विदुषी और पुरुष अविद्वान् हो तो नित्यप्रति देवासुर संग्राम घर से से चा रहै फिर सुख कहां है इसलिये जो बी न पड़ें तो कन्याओो की पाठशाला में अध्या पिका क्योकर होसकें तथा राजकार्य न्यायाधीशस्त्यादि शहाश्रम का काय्र्य जो पति को भी और बी को पति प्रसन्न रखना घर के सब काम ली के आधीन रहना : इत्यादि काम बिना विद्या के अच्छे प्रकार कभी ठीक नहीं हो सकते हैं। देखो आय्यवर्ल के राजपुरुषों की ट्ठियां धनुर्वेद अर्थात् युद्धविधा भी अच्छे प्रकार जानती थीं क्योकि जो न जानती होती तो के कयी आदि दशरथ आदि के से साथ युद्ध से क्योकर जा सकती है और युद्ध कर सकती इसलिये त्राह्मी और क्षत्रिया को सब विद्या, वैश्या को व्यवहार विद्या और श्रा को पकदि सेवा की विद्या अवश्य पढ़नी चाहिये जैसे पुरुषों को व्याकरणधर्म और अपने ब्ययपुर की विधा न्यून से न्यून अवश्य पढनी चाहिये वैसे लियो को भी यह करएधर्म वैद्यक, गणित, शिल्विद्या तो अवश्य ही सीखनी चाहिये क्योकि रन रप विना सत्याsसत्य का निर्णय, पति आदि में अनुकूल बसान, राधाब ग्य सन्तानों स्पाते, उनका पालन वन र करनSt t " मुभिक्षा , पर के संग कार्यों