पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/९६

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चंतु समुल्लास। गुण कर्म स्वभाववों का विवाहू व भी न होना चाहूिं थे । इससे सिद्ध हुआ कि पूर्वोत समय से प्रथम व आसों का विवाह होना योग्य नहीं है । ( प्रश्न ) विवाह माता पिता के आधीन होना चाहिये वा लड़का लड़की के आधीन रहे ? (उतर ) लड़का लडकी के प्राचीन विवाह होना उत्तम है । जो

माता पिता विवाह करना कभी विचार तो भी छड़ का लडकी की प्रसन्नता के विना

न होना चाहिये क्योंकि एक दूसरे की प्रसन्नता से विवाह होने में विरोध बहुत कम होवा औौर सन्तान उत्तम होते हैं । अप्रसन्नता के विवाह में नित्य छेश ही रहता है। विवाद में गुरूय प्रयोजन वर और कन्या का है माता पिता का नहीं क्योंकि जो उन 3 में परस्पर प्रसन्नता रहे तो उन्हीं को सुच अरविरोध में उन्हीं का दु:ख होता और 7 सन्तुष्टो भायंया भद्र अत्री अशी तथा छ । यास्मिन्नेव कुले नित्य कल्याणु तत्र ने ध्रुव ॥ मनु० ३ ६० ॥ जिस कुल से ली से पुरुष और पुरुष से की सदा प्रसन्न रहती है उसी कुल मे आनन्द, लक्ष्मी और कीर्टीि निवास- करती है और जहां विरोधकलह होता है वहां दु:ख, दरिद्रता और निन्दा निवास करती है इसलिये जैसी स्वयंवर की रीति । .3 आर्यावर्त से परम्परा से चली आती है वही विवाह उत्तम है, जघ की पुरुष विवाह } करना चाहें तष विद्या, विनय, शील, रूपआयुबलकु , शरीर का परिमाणादि यथायोग्य होना चाहिये 1 ज तक इनका मेल नहीं होता त चत के विवाह में कुछ भी सुख नहीं होता और न बाल्यावस्था में विवाह करने से सुख होता। युवा संवासाः परिीत आगृत ड़ पन्भवति जायमानः। । धीरसः कश्य उन्नयन्ति स्वायो मनसा देवयन्तः 7 ॥ त ३ १ न० ॥ ० ३ 1 सू० ८ 4 मa & It आ, नवों धुनयन्मशिश्वीः शबदु दुघः शशुथा अदुग्धाः ? । नव्यानव्य युठतयो भवन्तीर्महदेवानगमगुरमेम् ॥ २ ॥ ०ि ॥ म० ३ । ० ५५ 5 ० १६ t