पृष्ठ:समर यात्रा.djvu/१०७

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आहुति
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आनन्द ने डूबते हुए आदमी की तरह तिनके का सहारा लिया--अपनी अम्मा और दादा से पूछ लिया है ?

'पूछ लूंगी।'

'और वह तुम्हें अनुमति भी दे देंगे ?'

'सिद्धान्त के विषय में अपनी आत्मा का आदेश सर्वोपरि होता है।'

'अच्छा'यह नई बात मालूम हुई !'

यह कहता हुआ आनन्द उठ खड़ा हुआ और बिना हाथ मिलायें
कमरे से बाहर निकल गया। उसके पैर इस तरह लड़खड़ा रहे थे कि अब गिरा,अब गिरा।