पृष्ठ:समर यात्रा.djvu/९५

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मैकू
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नामर्द नहीं है। कह दो पुलीसवालों से, चाहें तो मुझे गिरफ्तार कर लें।

कई ताड़ीबाज खड़े सिर सहलाते हुए, उसकी ओर सहमी हुई आँखों से ताक रहे थे। कुछ बोलने की हिम्मत न पड़ती थी। मैकू ने उनकी ओर देखकर कहा—मैं कल फिर आऊँगा। अगर तुममें से किसी को यहाँ देखा, तो खून ही पी जाऊँगा ! जेल और फांसी से नहीं डरता। तुम्हारी भलमनसी इसी में है कि अब भूलकर भी इधर न आना । यह कांग्रेसवाले तुम्हारे दुश्मन नहीं हैं । तुम्हारे और तुम्हारे बाल-बच्चों की भलाई के लिए ही तुम्हें पीने से रोकते हैं। इन पैसों से अपने बाल-बच्चों की परवरिश करो, घी-दूध खाओ। घर में तो फाके हो रहे हैं, घरवाली तुम्हारे नाम को रो रही है, और तुम यहाँ बैठे पी रहे हो ? लानत है इस नशेबाज़ी पर।

मैकू ने वहीं डण्डा फेंक दिया और क़दम बढ़ाता हुआ घर चला । इस वक्त तक हज़ारों आदमियों का हुजूम हो गया था। सभी श्रद्धा, प्रेम और गर्व की आँखों से मैकू को देख रहे थे।