पृष्ठ:समाजवाद पूंजीवाद.djvu/१९५

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समाजवाद:पूँजीवाद

कोठरियों में पाई जाती हैं। ल्स में त्रुटियों की शोर श्रॉख नहीं मीची जाती । उनको बिना किमी लाग-लपेट के दूर करने की कोशिश की जाती है। इसका कारण यह है कि रूस में पूँजीवादी स्वार्थों के साथ मेल नहीं विटाना पड़ता। वाटी और गड़बड़ी के कुछ वर्ष अवश्य बीते, किन्तु इस श्रसे में भी श्रमजीवियों में श्राशा और स्वाभिमान का संचार किया गया, जिसका किजीवाद देशों के श्रमजीवियों में सर्वथा श्रभाव पाया जाता है। लेनिन ने खुले तौर पर अपने साथियों से कहा कि उन्हें व्यवसाय का व्यावहारिक ज्ञान कुछ नहीं है । उसने कटु अनुभव के बाद यह महसूस किया कि जबतक सार्वजनिक व्यापार को आयोजना नहीं होती तयतक व्यक्तिगत मुनाफाखोरी को वन्द न करना चाहिए । उसको अपनी नई अर्थनीति की घोपणा करनी पडी, जिसके अनुसार खानगी व्यापारियों को अगली सूचना मिलने तक काम करने की स्वतंत्रता मिल गई 1 इस पर पूँजीवादी देशों में बड़ी खुशियां मनाई गई, और इस कार्य को साम्यवाद के टूटने और पूंजीवाद की ओर लौटने का द्योतक समझा गया। इससे पहले जब हालत यहत खराव थी, पूँजीवादी राष्ट्रों ने जार के समर्थकों को विद्रोह करने के लिए हथियारों और रुपये-पैसे की सहायता पहुंचाई । उन्होंने वहाना यह किया कि जिस उदार सरकार का तरता उलट चुका है, वही रूस की असली सरकार है और सोविएट लुटेरों का एक गिरोह है । इंग्लैण्ड ने दस करोड़ पौण्ड इस कार्य के लिए दिया । इतनी रकम पार्लमेण्ट ने युद्ध के लिए भी मंजूर न की थी। उस समय मि० चर्चिल युद्ध-मंत्री थे। जब इंग्लैण्ट में 'रूम से दूर रहो' अान्दोलन शुरू हुआ तो उन्हें बड़ा आश्चर्य हुआ। उस समय रूप के विरुद्ध या और किसी देश के विरुद्ध खुला युद्ध सम्भव न था। महायुद्ध ने राष्ट्रों की कमर तोड़ दी थी। वे जार के सेनापतियों की पीट जरूर टोक सकते थे। शुरू में ऐसा मालूम पड़ा कि सोविएट के 'पाँव उखद जावेंगे। हमलावर दल सफ़ेद सेना के नाम से मशहूर हुमा ।