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समाजवाद:पूँँजीवाद

२०४ समाजवाद : पूँजीवाद जायदाद जब्त कर लेते हैं और राजकीय नियंत्रण के अधीन उन्हें राजकीय विभाग बना देते हैं । विशुद्ध राजनैतिक संस्थायें जिनके पास पूंजी कुछ नहीं होती और जिनका प्रचार ही एकमात्र काम होता है, वे इस अाक्रमण के फलस्वरूप खत्म हो जाती हैं और उनको पुनः जीवित करने के सव प्रयास गैर-कानूनी घोपित कर दिये जाते हैं। उदार दल के अनुयायी इन कार्रवाइयों के विरुद्ध बड़ा शोर मचाते हैं। वे कहते हैं कि स्वतंत्रता और लोकतंत्र के उदार सिद्धान्तों को कुचल दिया गया है और भापण-स्वातंत्र्य, विचार-स्वातंत्र्य, निजी सम्पत्ति और निजी व्यापार के अधिकारों पर, जिन पर कि उनका पूँजीवाद थाश्रित है, अाक्रमण किया जा रहा है । किन्तु यह याद रखना चाहिए कि इससे चढ़कर लोक-तंत्रात्मक बात और क्या होगी कि विशाल जन-समूह को संगठित किया जाय और सार्वजनिक कार्य उनकी कल्पना के अनुसार संचालित किया जाय अर्थात् अधिक कार्यक्षम व्यक्ति के हाथ में अपनी चात मनवाने की पूरी सत्ता हो। जव राष्ट्रनायक उदारवादियों तथा उनके अधिकारों और रवतंत्रता का घृणा के साथ उल्लेख करता है और अनुशासन व्यवस्था, शान्ति, देशभक्ति और राष्ट्रभक्ति की अपील करता है तो जनता उसका उत्साह-पूर्वक उत्तर देती है और उदारवादी काले 'पानी के टापुओं, नजरबन्द कैम्पों और जेलखानों में सड़ते रहते हैं अथवा श्राम सड़कों पर उनकी लाशें पड़ी हुई नज़र पाती है । अधिनायक-तंत्र में न केवल अौसत नागरिक के विचारों को कार्य-रूप दिया जाता है, वल्कि ऊपरी तौर पर तत्काल और असाधारण सफलता नजर आने लगती है । अमुक विभाग का प्रधान, जो उत्साही युवक होता है, छोटी-छोटी त्रुटियों को दूर कर देता है और जिन अत्यावश्यक सार्वजनिक कामों को जारी करने में पुराने कर्मचारियों को छ: साल लगते, उनको वह छः महीने में जारी करवा देता है । पेरिस का पुनर्निमाण लुई नेपोलियन के जमाने में हुआ और इटली में पहली बार रेले टीक समय पर. मुसोलिनी के जमाने में दौड़ी । इस बीच अधिनायक इस बात की सावधानी रखता है कि शान-शौकत का खूब प्रदर्शन हो, व्याख्यानों में बड़ी-बड़ी बातें