पृष्ठ:समाजवाद पूंजीवाद.djvu/२८

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विभाजन की सात योजनायें चल और चालाकी में समान हों तो हमें समान अवसर मिल जाएँगे; किन्तु जिम दुनिया में यालक, वृद्ध और रोगी भी रहते हों और समान अवस्था तथा शक्ति वाले तन्दुरुस्त वयस्क लोग भी लालच और दुष्टता में एक-दूसरे से यहत मिल हाँ उसमें यह योजना नहीं चल सकती। कुछ ही समय में हमें उससे हार माननी होगी । समुद्री लुटेरों और जंगली माकुओं के दल तक लूट के माल के विभाजन के लिए धींगामस्ती के बजाय शान्ति-पूर्ण निर्धारित समझौते को पसन्द करते हैं। हमारे सभ्य समाज में यद्यपि ढकती और हिंसा का निषेध है, फिर भी हम व्यवसाय को ऐसे सिद्धान्त पर चलने देते हैं जिसके अनुसार दूसरे का कुछ भी नयाल किए बिना हर एक चाहे जितना नफा कमा सकता है। एक दूकानदार या व्यापारी हमारी जेवभले ही न काटे; किन्तु वह अपनी चीज़ों की इच्छानुसार मनमानी कीमत ले सकता है। व्यवसाय में इस बात की स्वतन्त्रता मिली हुई है कि वह जिस हद तक ग्राहक को राजी कर सके उस हद तक अपने रुपए के बदले अधिक ले मकता है या कम दे सकता है। मकानों की कीमत अथवा किरायेदारों की दरिद्रता का कुछ भी खयाल किये बिना मकानों का किराया बढ़ाया जा सकता है। दुनिया की उद्योग-धन्धों में आगे बढ़ी हुई जातियाँ अपनी तैयार चीजें उद्योग-धन्धों में पिछड़ी हुई जातियों पर थोप कर मालदार हो सकती है। सम्पत्ति के विभाजन की चौथी योजना यह है कि केवल कुछ लोगों को बिना कुछ परिश्रम कराये धनी बना दिया जाय और याकी सब से . सूब मेहनत कराई जाय । उनके परिश्रम से जो पैदा चौथी योजना हो उसमें से उन्हें केवल इतनी मजदूरी दी जाय कि वे जीवित भर रह सके और मरने या वुड्ढे होने के बाद गुलामी करने के लिए बाल-बच्चे पैदा कर जायें । मोटे तौर पर भाजकल यही होता है। दस प्रतिशत लोग देश की १० प्रतिशत सम्पत्ति पर अधिकार जमाये हुए हैं। शेप १० प्रतिशत में से अधिकांश के पास कोई सम्पत्ति नहीं है। वे अत्यंत अल्प मजदूरी पर कंगाली को हालत में