पृष्ठ:समाजवाद पूंजीवाद.djvu/५१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
४४
समाजवाद:पूंजीवाद


लिए एक ही है । लोगों की श्रायों में परिवर्तन होना चाहिए । दीवानी कानून के द्वारा समझौतों का पालन कराया जाता है और मान-हानि तथा चोट पहुँचाने के मामलों का निपटारा होता है, किन्तु उस कानून के द्वारा कार्रवाई करवाने के लिए इतने कानूनी ज्ञान और वाक्-चातुर्य की आवश्यकता होती है कि इन गुणों से हीन साधारण व्यक्ति वकीलों को नियुक्त करके ही उसका लाभ उठा सक्ता है । हिन्दुस्तान जैसे देश में जहाँ निर्धनता हद-दर्जे की है गरीब लोग न्याय प्राप्त करने में प्रायः सफल नहीं होते। उनके पास अपने वकीलों को देने के लिए बड़ी-बडी रकम नहीं होती। इसका अर्थ यह है कि धनी श्रादमी की मांगे पूरी न हो तो वह ग़रीब को अदालत में जाने की धमकी दे कर डरा सकता है। वह गरीब के अधिकारों की उपेना कर सकता है और उसको कह सकता है कि यदि वह असन्तुष्ट है तो उसके खिलाफ अदालती कार्रवाई कर सकता है । वह अच्छी तरह जानता है कि ग़रीय को दरिद्रता और अज्ञान के कारण कानूनी सलाह और संरक्षण नहीं मिल सकेंगे। ___यद्यपि फौजदारी कानून के अनुसार कार्रवाई कराने के लिए पुलिस वादी पक्ष से कुछ लेती नहीं है, किंतु फिर भी धनी कैदियों के साथ पक्षपात होता ही है। वे बहुत सारा रुपया खर्च करके अपनी चकालत कराने के लिए प्रसिद्ध-प्रसिद्ध वकील-बैरिस्टर नियुक्त कर सकते हैं। देश में से ही नहीं, दुनिया भर में से गवाहों की खोज कर सकते हैं, गवाहों को ढरा या ललचा सकते हैं और अपील के प्रत्येक सम्भव प्रकार और देर करने के उपाय शेप नहीं छोड़ते । अमेरिका के धनिकों के ऐसे अनेकों उदाहरण हैं जो यदि गरीब होते तो कभी के फाँसी पर लटका कर या विद्युत द्वारा मार ढाले गए होते, किन्तु ऐसे आदमी तो कितने ही हरएक देश की जेलों में पड़े होंगे जिनके पास यदि खर्च करने को कुछ सौ रुपया होते तो वे छोड़ दिये गए होते। ____ कानून मूलतः भी विशुद्ध नहीं है। कारण, वे धनियों द्वारा बनाए गए हैं। (हिन्दुस्तान में उनका निर्माण अहिन्दुस्तानियों द्वारा हुआ है, यह अन्य देशों की अपेक्षा विशेष है।) इंगलैण्ड में कहने के लिए सब