पृष्ठ:समाजवाद पूंजीवाद.djvu/५२

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असमान प्राय के दुष्परिणाम वयस्क सी-पुरप पालमण्ट में चुने जा सक्त है और यदि काफ़ी लोगों के मत प्राप्त कर सकें तो कानून भी बना सकते हैं। पालमण्ट के सदस्यों को श्रय वेतन मिलता है और चुनाव के कुछ खर्च भी सार्वजनिक कोप से दे दिए जाते हैं। किन्तु उम्मीदवार को १५० गिजियाँ तो शुरू में ही जमा करानी होती हैं और ५०० से ले कर १००० तक उसके याद चुनाव लढ़ने के लिए सर्च करनी होती हैं। फिर यदि उसे सफलता मिल भी जाय नो पार्लमेण्ट के सदस्य को लन्दन में जैसा जीवन बिताना होता है टमके लिए ४०० गिली मालाना तनम्बाह काफ़ी नहीं होती । इसमें पैन्शन का तो सवाल ही नहीं है, भविष्य की कोई आशा भी नहीं रहती है। अगले चुनाव में हार हुई कि वेतन मिलना बन्द हुया । यही कारण है कि इंग्लण्ड में गरीबों का ६० प्रतिशत बहुमत होने पर भी पार्लमेण्ट में उनके प्रतिनिधि अल्प-मत में है, क्योंकि इन सुविधाओं से भी धनी ही लाभ उठा सकते हैं। ____जो अादी चीज़ों को काम में लेता है या दूसरों की सेवा तो ग्रहण करता है; किन्नु वयं उतनी ही चीज पैदा नहीं करता या उसी परिमाण में दूसरों की उतनी सेवा नहीं करता, वह देश की उतनी ही हानि करता है जितनी एक चोर । वास्तव में चोरी का यही अर्थ है । हम धनी लोगों को, क्योंकि वे धनी हैं केवल इसलिए चोरी करने, का दालने, हत्या करने, लड़कियां उड़ाने, मकानों में घुस जाने, जल या थल पर डुबाने, जलाने धौर नष्ट करने की छुट्टी नहीं देते । किन्तु हम उनके बालस्य को सहन करते हैं जो एक ही वर्ष में इतना नुकसान कर देता है जितना कानून द्वारा दण्डनीय दुनिया के सब अपराध दस माल में भी नहीं कर पाते । धनी लोग अपने पार्लमेण्टी बहुमत द्वारा सेंध, जालसाज़ी, स्त्रयानत, गठकटी, उठाईगीरी, डकैती और चोरी जैसे अपराधों के लिए घोर कठोरता से दएट देते हैं, किन्तु धनिकों के श्रालस्य पर कुछ नहीं बोलते। उलटे वे उसे जीवन का अत्यन्त सन्मानपूर्ण प्रकार मानते हैं और भाजीविका के लिए श्रम करने को हल्केपन, और अपमान की निशानी समझते हैं, यह प्रकृति के क्रम को उलट देने और "घुगई तू मेरी भलाई हो जा!" को