पृष्ठ:समाजवाद पूंजीवाद.djvu/५६

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असमान थाय के दुष्परिणाम कांच की खिड़कियों को तोड़ने-फोड़ने और वाद्य-यंत्रों को नष्ट करने के लिए गिर्जाघरों को दौड़ पड़ते हैं। इंग्लैंड के स्कूलों में यदि कोई शिक्षक विद्यार्थियों को अपने देश के प्रति उनके कर्तव्य के विषय में ऐसे प्रारम्भिक सत्य सिखाता है कि जो स्वस्थ वयस्क बिना व्यक्तिगत रूप से सेवा कार्य किए समाज पर अपना बोझ ढालते हैं उन्हें अपराधी मान कर निंदा और दंढ का पात्र समझा जाय, तो उसे तुरन्त उसके पद से हट दिया जाता है और कभी- कभी उस पर अभियोग भी चलाया जाता है। इस प्रारम्भिक शिक्षा से लेकर विश्वविद्यालयों में दी जाने वाली अत्यन्त गहन और तात्विक शिक्षा तक में यह भ्रष्टता घुस गई है । विज्ञान का काम उन नीम-हकीमी दवाओं का प्रचार करना हो गया है जो धनिकों की पूजी से चलने वाली कम्पनियों द्वारा गरीबों और अमीरों के रोगों के लिए तैयार की जाती हैं। असल में गरीबों को तो आवश्यकता है बच्चे भोजन, वस्त्रों और स्वच्छ मकानों की और अमीरों को श्रावश्यकता है उपयोगी काम की । बस, दोनों इतने से ही स्वस्थ रह सकते हैं । अर्थ-विज्ञान सिखाता है कि गरीबों की मजदूरी नहीं बढ़ाई जा सकती, श्रालसी धनिकों के बिना पूँजी न रहेगी और बिना काम हम नष्ट हो जायेंगे और यदि गरीब अधिक बच्चे पैदा न करें तो इस नराब-से-वराब दुनिया में सब ठीक हो जायगा; किन्तु यह सब निर्लजतापूर्ण है। साधन-सम्पन्न माता-पिता स्वभावतः अपने बालकों को जिसे हम शिक्षा कहते हैं उसे दिलाने का प्रबन्ध करते हैं, किन्तु उनके बच्चों को इतने सफेद झूठ सिखाये जाते हैं कि उनका मूला ज्ञान जंगली लोगों के अशिक्षित स्वाभाविक ज्ञान से कहीं अधिक खतरनाक हो जाता है। भूतपूर्व कैसर ने जर्मन स्कूलों और विश्वविद्यालयों से उन सब शिक्षकों को निकाल दिया था जिन्होंने यह नहीं सिखाया कि इतिहास, विज्ञान और धर्म तीनों के अनुसार होहेनजोलन वंश अर्थात् उसके ही धनी कुटुम्ब का शासन मानव-जाति भर के लिए सर्वश्रेष्ठ शासन है। किन्तु