पृष्ठ:समाजवाद पूंजीवाद.djvu/७२

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ममान श्राप की आपत्तियां

ममान श्राप की आपत्तियां आयगी । मय जगह मालिकों का एक दल है जिनकी सम्पत्तियों की रक्षा के लिए पुलिस और प्रोजे है, थाहा पालन के लिए बड़ी तादाद में नौकर है, उनके शाराम की चीजें पनाने के लिए सुंद-के कैंद मजदूर हैं और इन मकरा नियहि पलुनः उपयोगी श्रम करने वाले मजदूरों के श्रम से होता है जिन्हें म्यं अपना नियां भी करना होता है । जन-संरया की वृद्धि किसी देश की सम्पत्ति में वृदि फरंगी या दरिद्रता में, यह पृथ्वी की प्राकृतिक उपज-शाक्ति पर निर्भर नहीं. यल्कि इस यान पर निर्भर है कि अनिरिक लोगों को उपयोगी धन पर लगाया जाना है या नहीं। यदि ये उपयोगी धन पर लगाये जायंगे तो देश की सम्पत्ति बढ़ेगी और यदि वे निरुपयोगी अन पर लगाये जायगे, अथांन ये मन्पत्तिवानों के नौकर बनाये जायंगे, या उनके अधिकारों के मार मरना यनाये जायंगे या टनकी प्रापरयकता की पूनि के लिए अन्य किसी व्यवसाय या कार्य में लगाये जायंगे नो देग और भी दरिद्र होगा । सम्मत्तिवान और भी धनी हो सकते हैं और उनके नौकरों को भी अधिक वेतन मिल सकता है. किन्नु ये बातें देश की दरिद्रता को न टक सकेंगी। प्रम-विभाजन के कारण यह स्वाभाविक है कि जितनी अधिक तन-मंग्या होगी उनना ही देग अधिक धनी होगा । श्रम के विभाजन का अर्थ यह है कि मित्र-मित प्रकार के काम भिन्न-भिन्न प्रकार के लोगों द्वारा हो, क्योंकि इस नगह लोग अपने-अपने कामों में बहुत कुशल हो जाने हैं। कारण, उन्हें उम काम के अलावा और कोई काम नहीं करना पडना इसके अलावा उनके काम को दूसरे लोग मंचालित भी कर सक्ने हैं जो अपना मारा दिमाग इसी दिशा में पर्ष करते हैं । इस तरह से जो समय यत्रे उमा मशीन, स, नया अन्य माधन बनाने में टपयोग किया जा सकता है नाकि श्रागे चल कर और समय तया श्रम यत्र सके । इस उपाय से बीम श्रादमी दम भादमियों को अपना दुगुने से अधिक और मी श्रादमी बीम प्रादमियों की अपेशा पंचगुने से कहीं अधिक पैदा कर सकते हैं। यदि सम्पनि और उसके लिए होने वाले