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सम्पत्ति-शास्त्र।

१७६५ ईसवी में अमेरिका वालों ने इंगलैंड की चीज़ों का व्यवहार बन्द कर दिया था । आज कल चीन वाले अमेरिका को चीज़ों का बहिष्कार कर रहे हैं। और सब वा यथास्थित होने पर बहिष्कार से बड़े लाभ होते हैं । घिदेशो चीजें देशी चीज़ों के साथ चढ़ा-ऊपरो नहीं कर सकतीं । इससे जिन चीजों का बहिष्कार होता है उनकी कीमत कम हो जाती है और उनके व्यवसाइयों को बेहद हानि उठानी पड़ती है । जिस देश चाले विदेशी चीज़ों का घर्जन करते हैं उस देश का व्यवसाय-वाणिज्य बहुत जल्द उन्नत हो उठता है । नये नये कारखाने खुल जाते हैं। नये नये व्यवसाय होने लगते है। पूजो बढ़ जाती है । स्वदेशो-प्रेम जग उठता है । यह हो चुकने पर यदि वर्जन बन्द भी कर दिया जाय तो कुछ हानि नहीं होती। क्योंकि कोई भी व्यवसाय यदि एक बार उन्नत हो गया तो अबाध-वाणिज्य के पुनरुत्थान से फिर यह पहले को तरह नहीं दब सकता । वर्जनाय वस्तुओं में यदि मादक और चिलास के पदार्थ भी हुए तो धर्जनकारी देश को विलासिता और मादकप्रियता भी बहुत कम हो जाती है। विदेशो-वर्जन से यह भी एक बहुत बड़ा लाभ है।

कुछ चीजें ऐसी हैं जिनका संग्रह लाचार होकर सीमाबद्ध करना पड़ता है। कलों से जो चीजें बनाई जाती हैं उनके बनाने में दिन को अपेक्षा रात को यदि अधिक चर्च पड़े, और माल की बिक्रो से उस वर्च के निकल आने की गुंजायश न हो, तो उनके संग्रह को सीमाबद्ध करना पड़ेगा ! हो, यदि नप अधिक होने लगे, अतएव मूल्य भी यदि इतना बढ़ जाय कि रात को काम करने से भी माल की बिक्री से बच निकल आये, तो संग्रह सीमावद्ध न होकर फिर खप के बराबर हो जायगा ।

इस देश में जिस साल अनाज अधिक पैदा होता है उस साल किसानों को चाहिए कि, यदि उनको दशा अच्छी हो, अर्थात् यदि सारा अनाज पंच दिय विना उनका काम चल सके तो, खपथा कटती के अनुसारही वे अनाज चचें। यदि वे ऐसा करेंगे, और खप का खून खयाल रख कर बाज़ार में अनाज की आमदनी करेंगे, तो भाव न गिरेगा । आमदना और खप बराबर होने से भाव भी पूर्ववत् बना रहेगा। अनाज अधिक पैदा होने से भी उसकी आम- दनी सोमाबद्ध कर देने से उसका भाच बहुत कुछ एकसा रक्खा जा सकता है। ऐसा करने से आगे, कुछ दिन बाद, या अगले साल, अनाज का भाव