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पदार्थों की कीमत ।

अन्दर चढ़ता है। उस समय बचे हुए संग्रार को बैन कर किसान लोग बहुत घुछ लाभ उठा सकन है। पर यहां के किसान इतने गरीब हैं और उन्हें एनना लगान देना पड़ता है कि लान्यार होकर अपने खेतों की पैदावार एफ- दम उन्हें बच देनी पड़ती है। इससे माल की आमदनी बढ़ जाती है और भाय गिर जाता है। महाजन और व्यापारी सम्ने भाव पर अनाज बरीद लेने हैं और उसका संग्रा करके यूब लाभ उठाने हैं। वे वप और आमदनी का समीकरण करत रहने है। इससे कोई फारगचिशेप उपन्धिन न होने से उनके मारं अनाज का भाव नहीं गिरने पाना। वे बाजार का शव देग्या करने हैं। जितना मप होता है उतनाद अनाज व विक्री के लिए प्रस्तुत करने है। किसानों की नरह यह नहीं करने कि फनल कटी नहीं कि बाजारों को अनाज में पाट दिया । किसी चीज़ को आमदनी को न्यप की सीमा के भीतर रखने से-प्रर्धात उसे सीमावद करने से लाभ के सिवा हानि होने की सम्भावना प्रान कम होता है। हमारे देश के किसानों को मूर्खता भी अनाज की ग्रामदनी को सीमावद करने से उन्हें बाहुन कुछ गफती है ।

सीमारहित संग्रह।

चित्र प्रादि पुरानी कौर दुष्प्राप्य चीज़ों का संग्राद इमेशा के लिए सीमावद्ध' रछना है और अनाज आदि का कुछ काल के लिए 1 पर पहुत सी चीजें पैसा है जिनका संग्रह वप के अनुसार चराचर बढ़ाया जा सकता है । जित- नाही नए बढ़ेगा उतना उनका संग्रह भी बढ़ेगा। उनके संग्रह की कोई सीमा नहीं निश्चित की जा सकती 1 जिन चीजों का संग्रह खूब बढ़ाया जा सकता है उनका अधिक नप होने से उनके व्यवसायियों में शुरू हो जाती है। फल यह होना है कि कीमत कम हो जाती है । कीमत कम होने से उनका ग्यप और भी बढ़ता है । अतएन सय की अपेक्षा जव माल का संग्रह अधिक होता है, अर्थात् वह सीमाबद्ध नहीं होता, तब आप के ऊपर मूल्य अवलम्वित नहीं रहता, किन्तु मूल्य के ऊपर नप अवलम्बित हो जाता है । जितमाही मूल्य कम. उतनाही खप ज़ियादह ।

कलों से जा चीजें बनाई जाती है उनका संग्रह सीमा-रहित हो सकता है। अधिक सप हाने से दिन रात कलें चल सकती है पर यथेच्छ माल बाज़ार में पहुँचाया जा सकता है । यह नहीं कि अनाज की तरह उनकी उत्पत्ति के चढ़ा ऊपरी