पृष्ठ:सम्पत्ति-शास्त्र.pdf/२२०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
२०१
हड़ताल और द्वारादरोध।

________________

बड़े अफ़सोस की बात है कि इस देश के मदरसों, स्कूलों और कालेजों में धर्म या सदाचार चिश्यक कोई विशेष प्रकार की शिक्षा नहीं दी जाती। शिक्षा का मुख्य तात्य यह है कि वह मनुष्य के विचारों के उच्च करे और निन्दनीय कामों से घृणा पैदा करे | कुचाल, कुमार्गी ग्रेर धोखेबाज़ सभी देशों में हैं । परन्तु वहां उनके दुगुणों को दूर करने के लिए उपाय भी तो कियें जाते हैं। स्कूलों में धर्म और सदाचार की शिक्षा देने में कोई कसर नहीं की जाती । चचपनही से बच्चे सुधारे जाते हैं। देश की अामदनी फा बहुत बड़ा भाग शिक्षा के लिए मार्च किया जाता है । वास्तव में छोटे छोटे चालकही देश के भाचा गौरव के कारण होते हैं। उनके सुधारना, देश के सुधारना है। इस लिए व्यापार और व्यवसाय की उन्नति के लिए भी हम के अपने बच्चों के सुधारने में जो जान से यत्न करना चाहिए । प्या कमी ऐसा भी समय आवेगा जब भारत का प्रत्येक बच्चा अपना अपना फर्त्तव्य हृढ़ता से करने के उद्यत होगा और अपने तथा अपने देशवासियों के भरण-पोपय के लिए तन, मन, श्रुन सभी अर्पम करने के सदैव तत्पर रहेगा ? भाई। आइए, हम सब मिलकर अपनी भावी सन्तति का कार्यक्षेत्र तैयार करने के लिए इन सब प्रचलित कुरीतियों के निवारण का यत्न करें। यह धूढ़ा भारत अव हमाराही मुहँ देख रहा हैं । इस से में पुरुपार्थ करना चाहिए । हमें : संटना चाहिए और एक दूसरे की सहायता से मिल जुल कर काम करना सग्नना चाहिए। निश्चय जानिए, यदि हम सब मिलकर अपनी सहायता आप करने लगेंगे तो हमारी सायक्षिक अवस्था के सुधरने में देर न लगेगी ।

तीसरा परिच्छेद । हड़ताल और इराक्रोध । जिस देश में कम्पनियां खड़ी कर के लोग धड़े बड़े काम करते हैं; अथवा, साम्पचिक अवस्था सुधरने से, अकेले एकही आदमी या दो चार मिलकर बड़े बड़े व्यापार-व्यवसाय चलाने लगते हैं, उस देश में बहुधा हड़ताल की रोग पैदा हो जाती है। यह रोग बहुत बुरा है। हिन्दुस्तान अथ तक इससे बचा हुआ था, परन्तु कुछ समय से यहां भी इसका प्रादुर्भाव हुआ। 28