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एड़ताल और हारावरोध ।


यहां तक जो कुछ लिखा गया मजदूरों के श्रमजीधियों के हड़ताल के विषय में लिखा गया । अव कारखानेदारों की भी कैफियत सुनिए । ये दोग हड़ताल की तो मंशा निन्दा करते हैं: हमेशा कहा करते हैं कि हड़ताल करना अच्छा नहीं : हड़ताल करने वालों की शिकायत हमेशा अंजय दुया करती हैं। उनकी जितनी शिकायने वाजवी होती हैं उन्हें हम खुद ही दूर कर देते हैं। परन्तु इनको आप थोड़ा न समझिए । ये भी हमेशा अपनी बात में रहने हैं और आपस में एका करके कभी कभी मज़दूरों को एकबारगा टुटा देते है । मजदुरी से अधिक देर तक काम लेने के लिप, या उनकी उजरत कम कर देने के लिए, या और किसी स्वार्थसिद्धि के , लिए सब कारखाने वाले एक दिल हाकर कभी कभी अपने अपने कारखानों के फाटक बन्द कर देते हैं। उनमें ताले लग कर, मजदूरों को भीतर नहीं धंसन देने । इस कृत्य का अंगरजी नाम है " Lock-count"--अर्थात् द्वारा- घरोध । ये लोग आपस में मिलकर यह ठहरा लेते हैं कि हमारे व्यवसाय में मजदूरों का कितनी उजरत देनी चाहिए, या उनसे कितने घंटे काम लेना चाहिए। इसमें वे अपनेही फ़ायदे का खयाल रखते हैं, मजदूरों के फायदे का नहीं । इस तरह के द्वारावरोध बहुधा एक ही प्रकार का व्यवसाय करने वाले कारखानेदार करते हैं। वे अपने कृतनिश्चय के अनुसार मजदूरों की उजरत कम करने या उनके घंटे बढ़ाने का नोटिस दे देते हैं, और यदि मज़दूर उनकी वात नहीं मानने, तो एक ही साथ कारखानों के फाटक वन्द कर देते हैं। यह बात योरप और अमेरिका में अकसर होती है । जो मजदुर एक ही तरह के व्यवसाय में लगे रहते हैं उन्हें उसी व्यवसाय के काम का अनुभव रहता है । उसे ही वे अच्छी तरह कर सकते हैं। और काम , उतनी योग्यता और फुर्ती से नहीं कर सकते । अतएव यदि ये उस व्यवसाय को छोड़ कर अन्यत्र काम करने की इच्छा भी फरें तो उन्हें नातजरिवकारी के कारण कम उजरत मिले । द्वाराचरोध का परिणाम यह हाना है कि बेचारे मजदूरों को अकसर कारखानेदारों के चंगुल में फंसना पड़ता है और उनकी सब शते मंजूर करनी पड़ती हैं। यदि न्याय और नोति की दृष्टि से देखा जाय तो कारखानेवाले द्वारा- घगंध के लिए दोषी नहीं ठहराये जा सकते ! यदि वे पहले ही से मजदूरों को नोटिस दे दे कि इतनी उजरत पर इतने घंटे जिसे काम करना हो कर,