होता । इससे उनको ही नहीं सारे देश को हानि पहुंचती है। हिन्दुस्तान
का बहुत कुछ यही हाल है।
बैंकिंग अथवा महाजनी भी साग्न दी का एक प्रकार है। उसका विचार
अगले परिच्छेद में किया जायगा।
दूसरा परिच्छेद ।
वैकिंम् ।
चैक (link) अंगरेजी शब्द है। परन्तु बाद अब हिन्दी हो रहा है।
जिनको अँगरेजी का गन्ध भी नहीं ये भी बैंक का अर्थ समझते हैं । पर बात
कम पादमी ऐसे होंगे जो यह अच्छी तरह जानते होंगे कि बैंक में क्या क्या
काम होता है । बाधा लोग इतमाही जानते है कि बैंक स्पया जमा करने
की जगह है। इससे बैंक के कामों का थोड़ा सा हाल लिखना अनुपयोगी
न होगा।
बैंक भी साग्न हो का फल है। यदि बैंक की साख न हो तो कोई उसमें
रुपया न जमा कर-कोई उससे किसी तरह का व्यवहार न करे । बैंक जो
काम करता है उसी का नाम बैंकिंग है । बैंकिंग पार महाजनी प्राय: समा-
नार्थक शब्द है । महाजन का पेशा महाजनी और बैंक का चैकिंग कहलाता
है । भेद दोनों में सिर्फ इतनाही है कि बैंक औरों से रूपया कर्ज लेकर सूद पर
उठाताई। महाजन फर्ज नहीं लेता। यह अपना ही रूपया औरों को कर्ज देता है।
बैंक सूद देता भी है पार लेता भी है। महाजन देता नहीं, सिर्फ लेता है।
बैंकों की उत्पत्ति सुनने लायक है । इटली में एक जगह चिनिस है।
पारहवीं शताब्दी में यहां प्रजासत्ताक राज्य था। राजधानी, विनिस, में
एक महासभा थी । उसीके हाथ में राज्य का सूत्र था।११७१ ईसवी में एक
युद्ध के कारण चिनिस के राजकोश में रुपये की बड़ी ज़रूरत हुई । इससे
महासभा ने कानून बना दिया कि हर ग्रादमी को अपनी आमदनी पर फ़ी
सदी पक के हिसाब से गवर्नमेंट को कर्ज देना पड़ेगा। इसके बदले गवर्नमेंट
ने कर्ज देनेवालों को फ्री सदी पांच के हिसाब से सूद देना कबूल किया ।
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वैकिंग।