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सम्पत्ति-शास्त्र।


ऊपर एक जगह लिखा जा चुका है कि बैंक हुँडियाँ भी खरीद करता है। अच्छा अब मान लीजिए फि जिस पाँच हजार रुपये की अमानत का ज़िक ऊपर किया गया उसमें से पांच सौ रुपया तहबोल में रख कर शेष पैंतालीस सौ रुपये के बल पर बैंक मे हुँडियाँ खरीदी। आप जानते हैं, इस पैंतालीस सौ रुपये की बदौलत कितने की हुंडियां बैंक ने खरीदा १ जितनी रकम उसके पास है प्रायः उससे दस गुनै की-अर्थात् कोई पैंतालीस एजार रुपये को वह इस तरह कि, बैंक ने हुँडियां खरीद करके उनके सकारने की जिम्मेदारी अपने ऊपर ले ली और नकद रुपया न देकर हुँदो वालों के नाम रहाते में उतनी रकम जमा कर ली। इंडियाँ खरीद करने के समय बैंक बहा काट लेता है। इसका कारगा यह है कि हुंडियों की मुदत पूरी होने के पहले हो बैंक वा काट कर हुडियों की रकम जब चाहे ले लेने और उसे अपने काम में लाने का हक हुंडी चालों को दे देता है। बह का रुपया इसी हफ की बिकी का बदला है। यदि ब? को शरद फ़ीसदी एक रुपया है तो पूर्वोक्त पंतालीस हजार रुपये का बशा साढ़े चार सौ 'रुपया हुमा । इसे पंतालीस एजार में कम करने से चाकी चवालीस हज़ार साढ़े पांच सौ रुपया रहा। बैंक इस रुपये का टुंडी वालों के नाम साते में जमा कर लेगर पार उन्हें हक़ दे देगा कि अब चाहें वे पवना रुपया बैंक से ले लें पार जैसा चाह उसका व्यवहार करें। अब भाप देखिए कि कुल पाँच हजार नकद रुपये की बदौलत बैंक ने पचास हजार का उलट फेर फर दिया और साढ़े चार सौ रुपये कमा लिये। भर्थात् पाँच हजार तो उसने अमानत रखनेवाले से नकद पाये और पैता- लीस हज़ार हुंडीवालों से । इस तरह पचास हज़ार हुए। अब उसे दैना रहा पाँच हजार अमानतवाले के और चचालीस हजार साढ़े पांच सौ हुडीवालों के अर्थात् सब मिलाकर उनचास हज़ार साहे पांच सौ। शेप साढ़े चार सौ के वहफायदे में रहा। अब हुंडीवाले यदि उससे अावश्यकतानुसार नद रुपया मांगेंगे तो उसी पंतालीस सौ नकद रुपये में से वध देतारहेगा। क्योंकि संभव नहीं, सब लोग एक दमही रुपया मांगने आवें । कुछ लोग जो नकद रुपया ले जायंगे तो कुछ अमानत में नाद स्खेगे भी तो । हां यदि हुंडियां खरीदने के साथही हुँदोधाले नकद रुपया चाहे तो इतने रुपये का उलट फेर करने में शायद बैंक समर्थ न होगा।