पृष्ठ:सम्पत्ति-शास्त्र.pdf/२६८

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वीमा । वाले लोग अलग होते हैं। उन्हीं के फैसले को वीमावालों पर वीमाकारियों को मानमा पड़ता है। जितने की हानि धे कूत देते हैं उतनी ही का मुभा- विज़ा बीमावाली कम्पनियाँ देती है। इन दो तरह की हानियों में प्रत्येक प्रकार की हानि का निर्ख जुदा जुदा होता है। ___ अभी तक वारि-धीमे से इस देश के व्यापारी बहुत कम फायदा उठाते थे। पर अब इसका भी चलन चलने लगा है। बंबई और कलकत्ते आदि के बड़े बड़े व्यापारी, जो चीन, जापान और यारप, अमेरिका को माल भेजते हैं, बहुधा अपने माल का बारि-बीमा करा देते हैं । परन्तु विदेशी व्यापारी ही इस बीमे को अधिक कराते है। इस देश के व्यापारियों में बद्युत कम ऐसे हैं जो अपने नाम से खुद ही विदेश माल भेजते हों और यहाँ अपने ही अद्धतियों की मारफत घेचते हों। जैसे जहाजों से भेजे गये माल का बीमा होता है घैसे ही खुद जहाज़ों का भी धीमा होता है। बीमा किये गये जहाज यदि हट फट जायें या बिल- कुल ही डूब जायें तो बीमा कम्पनियाँ जहाजों के मालिकों को उनका मुआविज़ा देती हैं। जीवन-बीमा । मौर बीमों की अपेक्षा हम लोग जीवन-चीमे से अधिक परिचित हैं। इस देश में उसका अधिक चलन है। जीवन-बीमे का काम करने वाली कई कम्पनियाँ इस देश में हैं। खुद गवर्नमेंट जीवन-धीमे का काम करती है । डाकखाने के महकमे में यह काम होता है! पर अपने मुलाजिमों को छोड़ कर औरों का जीवन-धीमा गवर्नमेंट नहीं करती। पण्डित श्याम- विहारी मिश्र और शुकदेवविहारी मिश्र का जीधन-धीमा-विषयक पक लेन "सरस्वती" में प्रकाशित हो चुका है। उसमें इस विषय का अच्छा विचार किया है। अतएव उसी का भावार्थ हम यहाँ पर देते हैं। जीवन- धीमा लोग अक्सर कराते हैं। इसी से हम इस विषय को ज़रा विस्तार से लिखना चाहते हैं। जीवन बीमा वाली कम्पनियाँ मनुष्य के जीवन की ज़िम्मेदारी सी लिये रहती हैं। यदि बीमा किये गये आदमियों में से कोई आदमी बीमे की मीयाद के अन्दर मर जाय, या मीयाद के दिन पार कर जाय, तो बीमे की 38