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सम्पत्ति-शास्त्र।

५५ साल वाला बौमा अधिक अच्छा है, श्योंकि उस में बहुत अधिक हानि नहीं होसकती । पर हां उस रुपये को मिल जाने पर, अपत्काल के लिए बले; चाट न जाये । (३) धन-सम्पन्न लोगों को इस झगड़े में न पड़ना चाहिए । बीमा-कम्पनियों के एजंटों की बातों में न पड़ना चाहिए । उनको वातों से तो यह जान पड़ता है कि बीमा-कम्पनियां मानों धर्मशाला या सदाबर्स खोले बैठी हैं। उनकी वार्ने पैसो होनी चाहिए। क्योंकि उन्हें तो अापको किसी न किसी तरह फंसा कर अपनः कमीशन झटकना है । सेठ फलदास करोड़पती के बीमा कराने की बात एजंट के मुंह से सुनकर धीमा कराने न दीइना चाहिए । न मःम उस करोड़पती ने फ्था समझकर बीमा कराया ही । अपना हानि-लाभ खुद सोचकर धीमा करानै या न कराने का निश्चय करना चाहिए ।