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सम्पत्ति-शास्त्र।

जो चीज़ जिस देश में नहीं पैदा होती उसका व्यवहार यदि उस देशचाले करनी चाहे हैं। दूसरे देश से मंगानी पड़ती है । परन्तु देखा जाता है। कि जो चीज़ जहां अनायास पैदा हो सकती है, या तैयार की जा सकती है, वह भी कभी कभी और देशों से मँगाई जाती है । ऊपरी दृष्टि से देखने से इसका कारण यही मालूम होता है कि ऐसी चीज़ दूसरे देशों में सुलभ होती है, इससे घई घहां से मँगाई जाती है। अर्थात् उसे उत्पन्न करने की अपेक्षा विषेश से लाने में अधिक लाभ होता है। इसी बात के दूसरे शब्दों में इस तरह कह सकते हैं कि जिस देश में जिस चीज़ के बनाने या तैयार करने में लागत कम लगती है उसी देश से बह चीज़ मैंगाने में सुभीता होता है। यह कारण ठीक हो सकता है, परन्तु यह सर्ध-व्यापक नहीं । कभी कभी पैसे देशों से भी च की अमदनी होती है जिनके बनाने या तैयार करने में कम लागत नहीं लगती । एक उदाहरण लीजिए - : - हिन्दुस्तान में अनाज और कोयला दोनों चीज़ इंगलैंड की अपेक्षा कम खर्च में तैयार है। सकती हैं। अतएव हिन्दुस्तान की ये चीजें गलैंड से 'कभी न मँगानी चाहिए । परन्तु ऐसा नहीं होता। ज़मीन से कोयला निकालने में इंगलैंड की अपेक्षा हिन्दुस्तान में कम ख़र्च पड़ता हैं । तिस पर भी हिन्दुस्तान से जो अनाज ईगलड़ जाता हैं उसके बदले वहाँ से बहुधा कोयला आता है। क्यों ऐसा होता है, इसका कारण है। कल्पना कीजिए कि कोयले और अनाज का एक निश्चित परिमाण प्रस्तुत करने के लिए हिन्दुस्तान में तीन तीन महीने लग जाते हैं । और उतनाही अनाज और उतनाही केायला तैयार करने में गलळघालों के चार चार महीने मैडूनच करनी पड़ती है। : तीन महीने की मेहनत से तैयार हुआ अनाज हिन्दुस्तान ने इंगलैंड भेजा, अब उतनाहीं अनाज तैयार करने के लिए इंगलैंड के चार महीने मेहनत करनी पड़ती है । अतएच हिन्दुस्तान से भेजा गया अनाज इंगलैंड के चार महीने की मेहनत से तैयार किये गये अनाज के बराबर हुआ । उसके बदले चार महीने की मेहनत से तैयार हुअर केायला हिन्दुस्तान के मिलेगा । पर इंगलैंड में चार महीने की मेहनत से तैयार हुआ कोया हिन्दुस्तान में सिर्फ तीन महीने की मेहनत से तैयार हुए कोयले की बराबर है। अतएव तीन महीने की मेहनत से उत्पन्न किया गया। अनाज इंगलैंड भेज कर, जितना कोयला यहां तीन महीने में निकलता उतनाही इंगलैंड से मिला;