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विदेशी व्यापार।

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विदेश गएर । विद, ना । इस पर में इन दोनों देशों में से किसी का कुछ फायदान हुआ । इलटा मान भजने यार मंगाने का ग्रनं अर्थ उठाना पड़ा। पुस अचला में गदड़ मार हिन्दुस्तान के दरभियान कभी व्यापार जारी न होगा। ज्योकि हिन्दुस्तान में अनाज पर केायला दोनों चीज़ हैयार करने में थोड़ा मार्च लगने पर भी ये चीजें देंगलंब भेजने से उस दर को कुछ भी लाभ न होना । फिर भला ये चीज़ ईगलंई ये हिन्दुस्तान से लेगा ? हिन्दुस्तान को भी इस बदले में कुछ लाभ न है । इससे वह भी इस विनिमय के म स्वीकार करेगा । इसमें यह सिद्ध हुआ कि जहां कम लागत से माल तैयार होता है वह ने यह मैशी नहीं मंगाया जाता । अब यह दंग्त्रना है कि किस स्थिति में हैं। देशों के बीच व्यापार शुरू होता है। पूर्वोक्त कल्पित उदाहरण में कुछ फेरफार कीजिए । जितना कायला हिन्दुस्तान में हैंन महीने में तैयार हो सकता है उतना लंड में चार माने में होता है। परन्तु तीन महीने में ज्ञितमा अनाज़ हिन्दुस्तान में तैयार होता है उतना गलंई में पांच महीने से क्रम में नहीं तैयार होता। इसे देश में दोनों देशों के दरमियान निःसन्देह व्यापार शुरू हो जायगा । चार महीने में तैयार किया गया कायम इंग्लंड ने हिन्दुस्तान भेज; वह फायल। तीन महीने में तैयार किये गये हिन्दुस्तानी कोयले के बरावर है। अतएवं उसके बदले हिन्दुस्थान में तीन महीने की मेहनत से तैयार किया गया अनाज ज़रुरही मिलेगा । पर तीन महीने में तैयार किया गया हिन्दुस्तानी अनाज इंगलैंड में पांच महीने की मेहनत के बराबर है। अतएव अपने चार महीन फी मेहनत से तैयार किया गया कोयला देकर, जो अनाज पैदा करने के लिए इगलंड के पाँच महीने मदनत करनी पड़ती है, वह उसे हिन्दुस्नान से मिला । अर्थात् इस अदला-बदल लें-इस मापार से गले के एक महीने की मेहनत र्फी अचन हुई । जब तक यह स्थिति रहँगो तच तक इंगलैंड फैश्यला भेजता ही जायगा और हिन्दुस्तान से इसके बदले अनाज लेता जायगी । जितना कोयला पैदा करने में हिन्दुस्तान के तीन महीने मेहनत करनी पड़ती है, उतना पैदा करने के लिए गर्ल के चार महीने लगते हैं । अर्थात् हिन्दुस्तान की अपेग ६गलंड में कोयला महँगा पड़ने पर भी हिन्दुस्तान ने घही में उसे लिया। तीन महीने को मेहनत से