पृष्ठ:सम्पत्ति-शास्त्र.pdf/३००

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
२८१
विदेशी माल के भाव का तारतम्य ।

महीं मिलता, तथापि अवनत देश को अपेक्षा उसे ज़रूर हो अधिक मिलता है। थोड़ी ही लात से चीजें तैयार होने से एक है। यहां सुनाफ़ा अधिक होता है। दूसरे कम खर्च में तैयार हुई चीजों को क़ीमत कम पड़ती है—चे सस्ती चिकनी है । तो हैराने के कारण उनको खप चढ़ता है, और, स्वप बढ़ने के कारण उनकी उत्पत्ति या तैयारी दिनी दिन अधिक होती है । फत यह होता है कि ऐसा देश बिदेशी व्यापार से चेहद फ़ायदा उठाता है । अतएव माल की तैयारी में यंत्रों को जितना हीं अधिक उपयैः किया जाता हैं और चौ के घनाने और तैयार करने के लिए जितनी अधिक नई नई युझिय निकलती हैं उतनाहीं अधिक फ़ायदा देश के पहुँचती हैं। इन बातों के क्याल से ईंगड आर हिन्दुस्तान में जमीन-आसमान का फ़रक़ है। हिन्दुस्तान बहुत बड़ा देश है । यैरिए से यदि मूस निकाल डाला जाय तो हिन्दुस्तान बने हुए सारे गैरप की बराबर हैं । हिन्दुस्तान में कई ३० करोष्ट्र प्रादमी रहते हैं । इंग्लंड में बनी हुई चीजों का यहां धद चप है । हिन्दुस्तान का अधिकांश व्यापार इंगलैंड की मुट्ठी में है । यहां प्रत्येक चोझ धनाने मार तैयार करने की नई नई युक्तियां निकला करती है। प्रायः सारे पदार्थ कालों की सहायता से बनाये जाते हैं । हजारों श्रद्धे धड़े का छाने जारी हैं । फिर, घहां पूजी पानी की तरह धड़ रही हैं। इन्हीं कारणों से वहां की चीजें सस्ती पड़ती है और हिन्दुस्तान में ढोई चली आती हैं। सूती है नहीं ऊनी भी कपड़े, लाहे लकड़ी और चमड़े की चीज़, कागज़, स्याही, काँच का सामान, लिवों का सामान, क्रिता आदि सैकड़े धोज़ा का नत्रप हिन्दुस्तान में हैं। इनका पत्रप अधिक होने से ईंगलंद्ध का व्यापार दिनां दिन उन्नत होता जाता है और मुनाफे का अधिक अंश विदेशी व्यापारिया ही के मिलता है। हिन्दुस्तान से इन सत्र चीज़ों के बदले अनाज आदि तो इगलंड जाना है । और देशों से भी चहाँ जाता है। यह नहीं कि इन चीज़ों के लिए इंगलैंड के हिन्दुस्तान ही का मुंह देना पड़ता । अतएच उनका विशेष स्त्रय इंगलंद में नहीं। पर इगलंड की योजों को यहां विशेष खप है ; बहुत अन्त्रिक पाप है ; उनकी यहां बड़ी ज़रूरत हैं। यही कारण है जो हिन्दुस्तान के अपना अनाज सस्तै भाच इँगलंड के देना पड़ता है। हिन्दुस्तान की स्थिति बहुतही धुरी है। राजकीय वधायें यदि हिसाब में न भी ली जादै हो भी इस देश को व्यापारिक अवनति के देख कर