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सम्पत्ति-शास्त्र ।

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मान लीजिए कि इँगलैंड और हिन्दुस्तान के दरमियान मूल्य-विनिमय का भाव ६ गलैंड के अनुकूल हैं। इस दशा में हिन्दुस्तान से ६ गलैंड पर की गई इंडियों का निर्घ चढ़ जायण और हिन्दुस्तान के व्यापारियों को हुडियां खरीदने में अधिक चर्च पड़ेगा । अब इसी समय यदि फ्रांस और इंगलैंड के दरमियान विनिमय का निर्ख फ्रांस के अनुकूल है, और फ्रांस और हिन्दुस्तान के दरमियान का विनिमय हिन्दुस्तान के अनुकुल है, तो हिन्दुस्तानी व्यापारियों की फ्रांस को हुंडी ईंगलैंड पर खरीदने से फायदा होगा । यदि किसी समय चिनिमय का भाव इस प्रकार हैं। कि-- हिन्दुस्तान के १५॥ रुपये इंगलैंड के १ पङ सोने के सिक्के के बराबर हों फ्रांस के २४॥ कि

। हिन्दुस्तान के १५ रुपये फ्रांस के २५ फ़ांक के बराबर हों तो फ्रांस के २४|| फ्रांक वरीदने में हिन्दुस्तान के १५ रुपये से कमही लगेंगे । उधर, २४|| फ्रांक गलेड़ के १ पंड के बराबर हैं । अतएब इगलंड का १ पौंड़ चुकाने के लिए हिन्दुस्तान यदि १५ देगा तो उसे व्यर्थ हानि उठानी पड़ेगो । चद्द, यदि, इस देश में, फ्रांस की हुड़ी हैंगलंड पर खरीदेगा तो फी पौंड १५॥ रुपये न देकर, १५ रुपये से भी कुछ कम देने से उसका काम हो जायगा । विनिमयसम्बन्ली सब बातों को जानना व्यापारियों के लिए बहुत ज़रूरी है । मूल्य-विनिमय के हि फी घटती बढ़ती का ज्ञान रखने से व्यापारियों के बहुत लाभ हो सकता हैं। प्रत्येक देश के विनिमय का निर्घ और प्रत्येक देश के सिके का धातुगत मूल्य जानने से वाणिज्य-व्यचसाय करने वाले यह फौरन बता सकते हैं कि कहां रुपया देने, कहां लेने और कदां की हुंडी कटाने से उन्हें लाभ होगा। व्यापारियों को चाहिए कि वे व्यापार-चिपयक गणित (Commercial Akritbhaetic) की किताबें पढ़ें । यदि में खुद न पढ़ सकते हों तो किसी अँगरेज़ीद व्यापारों से उनके मुख्य मुख्य सिद्धान्त का ज्ञान प्राप्त करले । अन्यान्य देशों के सिक्कों के नाम और उनके घातुगत मूल्य का भी ज्ञान प्राप्त करना उनके लिए बहुत ज़रूरी है । यदि में ऐसा न करेंगे तेर फ्रांस के फ्रांक (IFranc), अमेरिका के डॉलर (Dollar), इटली के लाइT (Lirm), पैन के पैसेटा (Pesta), जर्मनी के मार्क (Mark), श्रीस के लैप्टा