पृष्ठ:सम्पत्ति-शास्त्र.pdf/३३४

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| वन्धनहित और बन्धनविहित व्यापार ? ३१५ से चञ्चत रहना होगा । या यदि अपने यहां पैदा करने से चै महँगी पड़ती होंगी और बाहर से न मंगाई जाँय तो लेने वालों को ध्यर्थ अधिक. खर्च करना पड़ेगा। इस मुभीने के लिए इन्हीं हानियों से बचने के लिए चिदैया से व्यापार किया जाता है । अतएव विदेशी माल की आमदनी को रोकना, ऊपरो दृष्टि से देखने से, अस्वाभाविक और अनुचित मालूम होता है। कुछ लोगों की राय है कि इन्धन-रहित व्यापार अच्छा नहीँ । व्यापार संक्षरण को चे बहुत जरूरी समझते हैं। वे कहते हैं कि विदेश से माल आना बन्द हो जाने से वह अपने ही देश में तैयार होने लगेगा । अर्थात् स्वदेशी व्यापार को उत्तेजन मिलेगा-इसको उन्नति गी । जो फला-कौशल और जो उद्योग-धन्धे विदेश से माल अाने के कारण न चल सकते होगे घे घले , निकलेंगे और जो बिलकुल ही अस्तित्व में न हमें चे उत्पन्न हो जायगे । इम लीग का कथन है कि व्यवहार को जरुरी चीज़ों में से जो चीजें अपने यहां हो सकती हैं। उन्हें बाहर से न मैंमर कर अपनेही देश में पैदा करने से देश को बहुत लाभ होग्य; स्वदेश व्यापार की बहुत बढ़ती होगी, देश की साम्पतिक अवस्था बहुत कुछ उन्नत हो जायगी । परदेश से माल भेगाने से अपने देश का धड़ा नुकसान होता है। उद्योग-धन्धा करना लोग भूल जाते हैं। देश में आलस्य के साथ साथ दरिद्ध वढ़ता है; अतएव विदेशी माल की मदनी को हर तरह से रोकना प्रत्येक देश-चत्सल आदमी का प्रधान कर्तव्य होना चाहिए । | घन्धनविहित व्यापार के पक्षपातियों की तो समरिंद्र रूप में यह राय है । देश में सर्वसाधारण आदमियों की प्रवृत्ति और ही तरह की है । सर्वसाधारण से यहां मतलब उन लोगों से है जो अपने लाभ को प्रधान और सारे देश के लाभ को अप्रधान समझते हैं क्योंकि प्रायः सब लोगों को नज़र विशैप करके अपने हो फ़ायदे को तरफ़ अधिक जादों है। कुछ ही उदारहृदय लोग ऐसे होते हैं जो अपनी निज की हानि की परवा न फरके देश को लाभ पहुँचाने की चेष्टा करते हैं। प्राप किसी बाज़ार या मंडी में जाकर दैनिए । बाधा अाप को ऐसे ही हक देन पड़ेंगे जो सस्ती और अच्छी ही चीजें दृढ़ते होंगे, फिर चाहे वे स्वदेशी छौं, चाहे विदेशी । साधारण आदमी यद्द नहीं समझते कि अपने देश को चीजें लेने से स्वदेशी व्यापार और स्वदेशी उद्योग-धन्धे को उत्तेजना मिलती है। अतएव यदि चे भइगो भी मिले