पृष्ठ:सम्पत्ति-शास्त्र.pdf/३३७

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३१८ सम्पत्ति-शास्त्र । धन्धे की चाह करनी होती है उसका कारोबार करनेवाले का गवर्नमेंट अपने ख़ज़ाने से कुछ रक्कम देती है जिसमें वे लोग अपने व्यवसाय की उन्नति कर सकें । जर्मनी में चुन्दर बहुत हेाता है। उसकी शकर बनती है। जर्मनी ने इस शहर के उद्योग को बढ़ाने के लिए इसका व्यवसाय करनेवाले के कुछ पुरस्कार देना निश्चित किया । परिणाम यह हुआ कि इन लेाग ने हिन्दुस्तान के लाजै मन चुक़र की शक्कर भेजना और कम क़ीमत पर धेचना शुरू किया । भाव में जितनी कमी उन्होंने कर दो उतना उन्हें जर्मनी की गवर्नमेंट से मिल गया है उतना ही क्यों । संभव है उससे भी अकि उन्हें मिला है। इस पुरस्कारदान के कारण हिन्दुस्तान में जर्मनी की शर का वर्च बढ़ गया, यहां धाले के चह सस्ती मिलने लगी। उधर जर्मनी में शक्कर का रोज़गार तो ज़रूर चमक उठा; पर पुरस्कार चाला रुपया व्यर्थ गया । चद्द रुपया माने जर्मनी की प्रजा के दण्ड देना पड़ा, क्योंकि गवर्नमेंट जै रुपया ख़र्च करती है वह प्रज्ञा से ही कर के रूप में वसूल करती हैं। जन्न हिन्दुस्तान को गवर्नमंट ने देखा कि शकर के व्यवसायियों के पुरस्कार देकर जर्मनी की गवर्नमेंट हिन्दुस्तान की शक्कर के चयचसाय का नाश किये देती है तब उसने वहां की र पर कर लगकर उसकी आमदनी रोकने की चेष्टा की । इस पुरस्कार के मामले ने हिन्दुस्तान ही में नहीं, और और देशों में भी व्यापारसम्बन्धी चखेड़े पैदा कर दिये । अतएव उन्हें दूर करने के लिए शक्कर’ बनाने वाले कई देश के प्रतिनिधि नै चलजियम के झुसल्स नगर में एक सभा करके कुछ नियम बनायें । तिस पर भी व्यापार-बन्धन से होने वाले देशप अच्छी तरह दूर नहीं हुए ! इन बाते से स्पष्ट है कि व्यापार का प्रतिधन्य करने से कितने ही अचिन्तनीय झमले उठ खड़े होते हैं, और प्रतिबन्ध करने वाले देश का थोड़ा बहुत नुक़सान हुए बिना नहीं रहता। सारे देश के चाहे नुक़सान न भी हो, और यदि हो भी ते। कुछ समय बाद चाहे उसकी पूर्ति भी है। जाय, पर प्रत्येक अदमी का अलग अलग विचार करने से यही सिद्धान्त निकलता हैं कि उनकी बेड़िी बहुत हानि जरूर ही होती है। अन्धनविहित व्यापार के जा पाती हैं घे ता कहते हैं कि इस प्रकार के व्यापार से देश के फ़ायदा पहुंचता है, इधर जा ले अपने देश की महँग चीजें लेते हैं उनका नुकसान होता है। यह कैसे ? जिस ज्ञात में देश का लाभ है उसमें व्यक्ति मात्र की हानि क्यों होनी चाहिए ? व्यक्तिभाव के हित