पृष्ठ:सम्पत्ति-शास्त्र.pdf/३४४

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घन्धनहित और घन्धनचिहित व्यापार । ३२५ देश ऐसे हैं जहां कुछ विशेप विशेष प्रकार का माल अधिक तैयार होता है। बहू माल तैयार या उत्पन्न करने में और देश उन देशों की बराबरी नहीं कर सकने । इसका सिर्फ यही कारण है कि इन देशों ने छह चिशेप विशेष प्रकार का माल तैयार करने का प्रारम्भ भैीर देशों की अपेक्षा पहले किया था। उस माल के तैयार करने, या उन योज्ञों के पैदा होने, के सुभीते चही अधिक न समझिए । यह बात नहीं है कि अधिक सुभीता होनेहीं हैं। कारण चे चीजें चहा अच्छी होती हैं। नहीं, बहुत दिनों तक उन चीजों की बनाने या पैदा करने के कारण उनका नजरिवा चढ़ जाता है—चे अधिक कुशल हो जाते हैं । इसीसे मार देशों को अपेक्षा घे चोज़ वहां अधिक अच्छी तैयार होने लगती हैं। बस इसका यही कारण है, और कुछ नहीं । जिस । देश का कोई नया उद्योग पहले ही पहल करना है, और इस नये उद्योग में किसी चलिए देश से स्पर्धा करने की ज़रूरत है, उसमें सिर्फ तजरिबी और काय-कौशल नहीं होता । परन्तु आर सुभो? पुराने देश की अपेक्षा भी अधिक हो सकते हैं। नये काम में बहुत दिन तक लाभ होने के बदले हामि हो होने की अधिक सम्मावना रहती है। अच्छा, ना यह हानि किसे उठानी चाहिए ? कारबानेदार पर इस हानि का बोझ डालना मुनासिब न होगा ! मगर यदि डाला जायगा जी कीन कारखानेदार ऐसा होगा जो हानि उठाकर भी अपना उद्योग-धन्धा जारी रखेगा १ कोई नया कारवाना खोलनेफाई नयाँ उद्योग-धन्धा जारी होने से अकेले कारखानेदारही को लाभ नहीं होता; लाभ सारे देश के होता है । अतएव हानि भी सारे देश के ही उड़ानी चाहिए। सारे देश का मालिक राजा होता है। इससे इस हानि को पूर्ण करने को व्यवस्था भी राजा ही के करनी चाहिए-गवर्नमेंट ही के यह दैग्न्नना चाहिए कि किस तरह इस हानि से करवानेदारों का बचाव किया जाय । इस तरह को हानि की सारे देश में धरावर धाँट देने का एक मात्र उपाय, विदेश से आनेवाले साल पर महसुल लगाकर उसकी आमदनी की रोक देना है। विदेशी माल की आमदनी धन्द हो जाने पर लोगों की अपनहीं देश का माल लेना पड़ेगा । फिर यदि वह महँग्या बिकेगा तैा भी बिना उसे लिए लोगों का काम न चल सकेगा। इससे सबके बराबर हानि उठानी पड़ेगी, पर यह सब खेड़ा सारे देश के ही लाभ के लिए है। इससे हानि भी सारे देशकै हो उठाना चाहिए । इस तरह का व्यापार–प्रतिबन्ध