पृष्ठ:सम्पत्ति-शास्त्र.pdf/३४९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

________________

सम्पत्ति शास्त्र ! वन्धनरहित व्यागर के सिद्धान्तों का अनुसरण करने से कितने हाँ पुराने देशों की हानि उठानी पड़ी है । तथापि ऐसे उदाहरणों से बन्धन रहित व्यापार के सिद्धान्त भ्रमपूर्ण नहीं साबित हो सकते । प्रत्येक देश की अचस्था भिन्न भिन्न होती है। अतएव, जैसा इस पुस्तक के प्रारम्भ में एक जगढ़ प्रतिपादन किया गया हैं, हर एक डैश के लिए सम्पत्ति-शास्त्र के नियमै में थेाड़ा बहुत फैर फार करने की ज़रूरत होती हैं। बन्धनरहित च्यापार के नियम और सिद्धान्त में देशों के लिए समान रूप से सदा लाभदायक नहीं हो सकने । अपनी अपनी hिथति के अनुसार उनमें कभी कभी परिवर्तन भी करना पड़ता है। इसका एक उदाहरण लीजिए। जैसे हिन्दुस्तान पुराना देश है वैसेही इटली भी है। इटली पहले स्वतन्त्र था, बीच में परतंत्र हुआ, अब फिर स्वतंत्र है। इस देश में बन्धनरहित व्यापार के नियम पूरे तौर पर जारी किये गये । पर कुछ काल वाद लेंगे। की अपनी भूल मालूम हुई । बे समझने लगे कि व्यापार के सब अन्धन दूर फरके हम लेग ने देश के बड़ो इन पहुंचाई । उन्हें इस बात का दृढ़ विश्वास हो गया कि इस प्रकार के व्यापारिक नियमों में कुछ फेर फार किये बिना अपने देश में उद्योग-धन्धे के। कभी उत्तेजना में मिलेगी । उन्होंने इस विषय में फ़स का अनुकरण करनेही में अपनी भलाई सेाची, इगलंड को अनुकंग करने में नहीं। इटली में जनसंख्या चहुत हैं । कलाकोशल आर कल-कारख़ानों की कमी ६ । पूँजी बहुत नहीं है। गवर्नमेंट पर कर्ज भी है । बहुत दिन तक राज्यव्यवस्था अकलछी न रहने के कारण देश की दशा उन्नत नहीं है। उसे अन करने के लिए रेल, सकें, पुल, पाशालार्थ आदि बनाना वर्तमान गवर्नमेंट के लिए ज़रूरी बात है। फ़ौज, जहाज़ आदि के लिए भी ख़र्च दरकार है। उसके दक्षिणी भाग में हिन्दुस्तान की तरह खेती के सिवा और ॐाई उद्योग-धन्धा नाम लेने लायक नहीं । अकेली स्वेती से देश का खर्च चलना असंभय है । अतएव इटली के समझदार आदमियों की राय है कि हमारे देश के लिए बन्धनरहित व्यापार सर्वतमाघ से उपयोगी नहीं। विदेश व्यापार का अचिरस्थायी प्रतिन्ध करके हमें अपने देश के कला कौशल के उन्नत करना चाहिए । इटली के दक्षिण में पहले कुछ कारोबार होता भी था, पर ध्यापार-प्रतिवन्ध दूर करने से यह भी बन्द हो गया।