पृष्ठ:सम्पत्ति-शास्त्र.pdf/३५०

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| बन्धनरहित और बन्धनदिहित व्यापार । ३३१ लेड और अमेरिका आदि से प्रतिस्पर्धा करना उसके लिए असंभव होगया । इन देशों ने यंत्रों की सहायता से माल तैयार करके इटली को नौप दिया और सस्ते झाच उसे घेचने लगे । परिणाम यह हुआ कि इटली• छालों के लिए व्रती के सिवा और कोई धन्धा न रहा । दक्षिण में सई लोग खेती ही करने लगे । फसल अधिक उत्पन्न करने की कोशिश में जमीन का उपजाऊपन कम होगया । बहुत खर्च करने पर भी ज़मीन उर्वरा न हुई । ज़मींदार और किसान दोनों को भूल्न भरने की नौबन आई । याचहारिक चीज़ों की कीमत बढ़ गई । पर मजदूरी का निर्ख पूर्ववत् ही रहा । इससे बेचारे मजदूरों को भी पेटभर खाने को न मिलने लगा। इन सारी अपदाओं का एक मात्र कारण बन्धन-रहित घ्यापार को नीति का अवलस्वन समझा गया । यह दुरवस्था इटली में केवल दक्षिण भरग की हुई, उत्तरी भाग की नह । चहां की स्थिति दृक्षिी भाग की स्थिति से भिन्न प्रकार की यी | चहां का उद्योग-धन्धा प्रौढ़ावस्या की पहुंच गया था, आबादी भरे चप्लुत बनी न थी, पू जी भो कम न थी। इस कारण उत्तरी प्रान्तों के निवासियों को ज़मीनहीं की पैदावार पर अचलम्बन करने की ज़रूरत न पड़ी । बन्धनरहित व्यापार की बदौलत उन्होंने अपने उद्योगधन्धों में उन्नति को । इससे उनको दश तो सुधर गई, पर दक्षिणी प्रान्त की दशा शोचनीय होगई । वहां कुछ ही समय से लोगों का ध्यान कलकारख़ान की तरफ़ गया था । वह सन उद्योग बाल्यावस्था ही में नग्न हो गया ! इटली की गर्नमैंट इन दोनों प्रकार के व्यापारों के हानि-लाभ को अब अच्छी तरह समझ गई है। इससे उसने अपनी ब्यापार-विषयक नीति में परिवर्तन प्रारंभ कर दिया है । इस का फल भी अच्छा होरहा है। इटली के दक्षिणी चिंभाग की स्थिति हिन्दुस्तान की स्थिति से बहुत कुछ मिलती है । अतएव हिन्दुस्तान के लिये भी व्यापार-प्रतिवन्ध की बड़ी ज़रूरत है। पुराने और सघन बसे हुए देश के लिए सिर्फ खेती पर अचलंब करना अपने ही हाथ से अपने पैरों पर कुल्हाड़ी चलाना है। पानी न बरसने से इस देश की कितनी दुर्दशा होती है, कितनै मनुष्य अकाल ही में काल-कवलित हो जाते हैं, गवर्नमेंट का भी कितनी हानि उठानी पड़ती है, से हम लोग मुह से प्रत्यक्ष देख रहे हैं। प्रायः हर साल किसी न किसी प्रान्त मैं दुर्भिक्ष चना ही रहता है। यदि खेती के सिवा