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३३२ सम्पत्ति-शास्त्र । और कारोबार भी यहाँ होते है। देश की अवस्था कभी इतनी हीन न हो जाती । जहाँ आवादी अधिक, देश पुराना, ज़मीन की उर्वरा शक्ति कम, पूँजी थोड़ी घहाँ जब तक अनेक प्रकार के धन्धे न होंगे तब तक कुशल नहीं। और नयै कारोबार की रक्षा किये बिना उनका चलना असंभव है। उन्हें चल निकलने के लिए उनका मुकाबला करने वाले रिप, अमेरिका और चीन, जापान आदि के माल पर कर लगा कर कुछ समय तक उनकी मदनी का प्रतिवन्ध करना बहुत जरूरी है।