पृष्ठ:सम्पत्ति-शास्त्र.pdf/३५६

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करों की आवश्यकता और तत्सम्बन्धी नियम आदि । ३३७ अच्छा तो किस ति से, किससँग से, किस तरकीब से कर वसूल करना चाहिए ? उसका परिमाण क्या होना चाहिए? किन किन धातों का ध्यान में रख कर कर लगना चाहिए? इस सम्बन्ध में सम्पतिशास्त्र के प्रवर्तक एंडम स्मिथ ने चार नियमों का उल्लेख किया है। उसका पहला नियम यह है ( १ ) कन, इस तरह लगने चाहिए जिसमें उनका असर सब पर चर वर पड़े। ऐसा में है कि किसी को कम कर देना पड़े, किसी को अधिक । जिसकी जितनी आमदनी हो उसले उसी के अनुसार कर लिया जाय ! अथवा जिसे जितना लाभ गवर्नमेंट से पहुंचता है, जिसकी जितनी रक्षा गवर्नमेंट फो करनी पड़ती है, उससे उसी के अनुसार कर लिया जाय ।। इस नियम का परिपालन करना मुश्किल काम है। मान लीजिए कि एक कुटुम्य में १० आदमी हैं और दूसरे में सिर्फ दो। दोनों कुटुम्यों की आमदनी । बराबर है। अध यदि नमक पर महसुल लगाया जाएगा तो उसका बोझ अधिक मनुष्य वाले कुटुम्ब पर अधिक पड़ेगा और कम मनुष्य घाले पर कम। उधर आमदनी दोन कुटुम्ब को बराबर है। इससे पहले कुटुम्य को, व्यर्थ अधिक कर देना पड़ेगा। क्योंकि आदमी अधिक होने से उस कुटुम्ब में अधिक नमक खर्च होगा । और वर्च अधिक होने से कर भी अधिक देना पड़ेगा । इधर इस कुटुम्ब में कम अादमी देने से उसकी आमदनी पहले कुटुम्ब के बराबर होने पर भी इसे कम कर देना पड़ेगा । अतपय यह नहीं कहा जा सकता कि दोनेां कुटुम्ब से, अहमदनी के हिसाब से, यह कर बरोबर परिमाण में लिया गया। व्यवहार में ऐसे मौक़ों पर जो जितनी चीज़ ख़र्च करता है उसे उतना ही कर देना पड़ता है । अब यदि यह कह कि जिसे जिस परिमाण में गवर्नमेंट से रक्षा की अपेक्षा हो उसे उसी परिमाण में कर देना चाहिए, तो यह होना भी कठिन हैं। क्योंकि इस नियम को अनुसरण करने से हर आदमी की प्राण-रक्षा के लिए कर लगाना पड़ेगा और हर एक के माल-असवाब की जाँच करनी पड़ेगी कि किसके पास कितन। माल है। यदि ऐसा न किया जायगा तो उसके माल-असबाव के परिमणि के अनुसार फर लगेगा किस तरह १ जान और माल की रक्षा के स्याल से कर लगाने में बड़े बड़े झंझट पैदा होंगे । इस बात का फैसला कौन करेगा कि किसकी जान की कितनी क़ीमत है और किसके पास कितमा माल-मसबाव है। अतएच एडम स्मिथ के इस नियम के अनुसार 48