पृष्ठ:सम्पत्ति-शास्त्र.pdf/३७७

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संपत्ति-शास्त्र ।। नहीं। विलायत वालों की यह चालाकी यहां वालों के स्थान में आ गई । इससे उन्होंने उनके इस औदाग्यपूर्ण काम में शरीक होने से इनकार कर दियः । आयात और यात माल पर लगाये जाने वालों कों का यहां तक संक्षिप्त विचार किया गया। इससे सिद्ध हुअा कि इस विथ में कई ऐसे सर्य-यापक नियम भह दिन्चत किये जा सकते कि किस तरह का फर' लगाना अच्छा है-किस तरह का कर लगाने से अन्त्रिक लाभ पहुंचने की संभावना है। विदेशी-माल-सम्बन्धी करों के चिपय में साधारण सौर पर सिर्फ इतना हौं कहा जा सकता है कि प्राचश्यक उपजीविका के पदार्थों पर कर न लगानी चाहिए। विलास-द्रव्यापर होकर लगाना मुनासिब है। जिन चीज़ों को बरकम है, ऐसी अनेक चीज़ों पर कर लगाने की अपेक्षा जिमका पत्रहुत है, ऐसी थाड़ी चीज़ पर कर लगाना अधिक लाभदायक है। ऐसा करने से कर चल करने में बचे भी अधिक नहीं पड़ता मार कर देने वालों को चिप कभी नहीं होता। जिस समय कैद्धस्टन सर गलेड के प्रधान मंत्री थे उस समय चहां तीन चार सौ चीज़ी पर कर लगना था। पर उन्होंने उन सव के ऊपर का कर उठा कर सिर्फ चार हौ पाँच मृत्य मुग्न्य चीज़ पर फर लगाया । यह इस बात की पुष्ट प्रमाण है कि थोड़ी अर्च होने वाली बहुत सी चीज़ों पर कर लगानी राजा या प्रज्ञा किसी के भी लिए हितकर नहाँ।