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सम्पत्ति-शास्त्र।

होने लगे। एक पति और भी है। यहां के निवासी वैज्ञानिक रीति से खेती करना नहीं जानते। एक वीवे में यहाँ जितना अनाज पैदा होता है। यूरप और अमेरिका आदि में उससे दूना, तिगुना होता है। यहां शिक्षप्रचार और उन्नत-प्रणाली से, यंत्रों को सहायता द्वारा, खेती करना सिखलाने की बहुत बड़ी जरुरत हैं। यदि ये सब बाने, या इनमें से थोड़ी भी हो जाये तो सम्पत्ति की वृद्धि होने लगे ; प्रज कल की अपेक्षा अधिक अनाज पदा हो; उपजीविका के साधन बढ़ जायें , सौर बहुत कल तक देशान्तर-मन को आवश्यकता न हो। इस कार्यय-सिद्धि के लिए प्रयत करना राजा और प्रज्ञा दोनों का कर्तव्य है! मङ्गलमय भगवान् इन विषय में हमारी सहायता करें।


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