पृष्ठ:सम्पत्ति-शास्त्र.pdf/३८६

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अशुद्धि-संशोधन ।। पृष्ठ पंक्ति अशुद्ध शुद्ध निश्चित करना निश्चित करना है বন না । ३: १८ काम चला जाता है। क्रोम बन्न जाता है ३ । । चन्द्र भी कर बन्द भी करले ४८ ; १४ झिननोहावाकम होजाय। जिननही वह कम हो जायगी । ३६ : निश्चय हो जाय। निदिंचन हो जाय। ६ व्यघसाइयों व्यवसायियों ९.० . ९ स्वदेशो-प्रेम स्वदेश-प्रेम ९६ ८ संग्रह चर्च ६०४ : ८ कुद्धे ।

  • छ | ५ ली जाती है।

ली जाती थी १४०७ बाढ़ वदावेग २८ उपयोग । उपभोग १५१ ९ फरने लगते | करने लगते हैं १५१ ९ कई कारनाने हैं । कई कारवाने ३०४ ४ "सरस्वती । “सरस्वती ३: । नदों है। नहीं है २५; ना के आगे हानि ही हानि है । उसके आगे हरनिही हानि ।। ३. १ प्रान्त में प्रान्त में २४ १३ ' सर्प सिर्फ़ । २७:: १३ रहती है. रहती है। ३३८ । । फर हैं। ३३९ । १३ ग्राहकों को भी आइफों को भी ३६३; २७ पर्यो उपायों -: धा ही मामा के हुने ४ को शुद्ध में अन्तर प्रायशः । ॐ शब्द के मुधार कर दें। ।