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सुविद्या चातुर्य्यै नयनिपुणता शौर्य्यपरता
दयालुत्वं धैर्य्यं सकलगुण्निनामादरविधिः।
विराजन्ते यस्मिन् विषुधनुतझलाकुलपति—
र्भवानिसिंहोऽयं विलमतु स राजेन्द्रसहितः॥