पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 1.pdf/१०३

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२६. पत्र : 'नेटाल एडवर्टाइजर' को

प्रिटोरिया

१६ सितम्बर, १८९३

सेवामें

सम्पादक

'नेटाल एडवर्टाइजर'

महोदय,

मेरा ध्यान आपके पत्रमें उद्धृत और समीक्षित उस पत्रकी ओर आकर्षित किया गया है, जो श्री पिल्लैने 'ट्रान्सवाल एडवर्टाइजर' को लिखा था। मैं ही वह कमनसीब भारतीय बैरिस्टर हूँ, जो डर्बनमें आया था और अब प्रिटोरियामें हूँ। परन्तु मैं "श्री पिल्लै" नहीं हूँ और न बी० ए० उपाधिधारी ही हूँ।

आपका,

मो० क० गांधी

[ अंग्रेजीसे]

नेटाल एडवर्टाइजर, १८-९-१८९३

२७. पत्र: 'नेटाल एडवर्टाइजर'को

प्रिटोरिया

१९ सितम्बर, १८९३

सेवामें

सम्पादक

नेटाल एडवर्टाइजर'

महोदय,

यदि आप निम्नलिखितको अपने पत्रमें स्थान देनेकी कृपा करें तो मैं बहुत आभारी हूँगा।

श्री पिल्लैने 'ट्रान्सवाल एडवर्टाइजर' को हाल ही में जो पत्र लिखा था, उसके बारेमें यहाँके कुछ सज्जनोंने और वहाँके पत्रोंने उन्हें 'गन्दा' कहकर उनकी छीछा- लेदर कर डाली है। मुझे आश्चर्य है कि क्या "धूर्त अधम एशियाई व्यापारियों --समाजका कलेजा ही खा जानेवाले सच्चे घुनों, अर्घबर्बर जीवन व्यतीत करनेवाले

१.श्री पिल्लेके पत्रमें शिकायत थी कि उन्हें पैदल-पटरीसे धक्के देकर हटा दिया गया था।