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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

अपना खाना बनाते हैं या नहीं, आदि। और जो इंग्लैंड जाना चाहते हैं उनके लिए यही बातें बहुत महत्त्वपूर्ण हैं। इसलिए इन पृष्ठोंके लेखकका इरादा परदेको हटाकर इंग्लैंडमें रहनेवाले भारतीयोंकी गतिविधियाँ स्पष्ट सामने रख देनेका है।

मुझे आशा है कि ऐसा करनेसे कुछ हदतक इंग्लैंड जानेवालोंको सुविधा तो होगी ही, साथ ही लोगोंको इंग्लैंडसे लौटनेवाले भारतीयोंको समझने में भी सहायता मिलेगी। लेकिन मुझे भय है कि कई लोग इसपर शिकायतें करेंगे और विरोध करते हुए मुझ-पर बरस पड़ेंगे। हो सकता है कि मुझे कई लोगोंकी मित्रतासे भी हाथ धोने पड़ें। कुछ लोग मुझे विवेकशून्य कहेंगे और कुछ यह कहकर चुप हो जायेंगे कि मैं व्यवहार-कुशल नहीं हूँ। कुछ ऐसे भी होंगे जो मेरी जवानीको दोष देते हुए मुझे बुरा-भला कहेंगे। लेकिन मैंने सत्यकी खातिर इस तूफानको सह लेनेका निर्णय किया है।

दूसरा सवाल यह है कि क्या ऐसी पुस्तिका लिखनेकी योग्यता मुझमें है? मैं बहुत हदतक इस प्रश्नका उत्तर देनेका भार पाठकोंपर छोड़ देना चाहता हूँ। मैं जानता हूँ कि इसी कहानीको इससे उत्तम भाषामें ज्यादा अच्छी तरह, अधिक विस्तारसे लिखनेवाले लोग हो सकते हैं और यह भी जानता हूँ कि शायद किसी एक ही व्यक्तिमें ये सभी गुण नहीं हो सकते। मैं तो पुस्तक सिर्फ इसी कारणसे लिख रहा हूँ कि इतनी आवश्यकता होनेपर भी अभीतक किसीने ऐसी पुस्तिका नहीं लिखी है। साधारणतः मैं इसमें सिर्फ तथ्य ही दूंगा और अत्यावश्यक होनेपर कहीं-कहीं व्यक्तिगत टीका-टिप्पणी भी करूँगा। यदि किसी व्यक्तिको कभी ऐसा लगे कि कहीं कुछ भूल हो गई है या कोई बात समझमें न आये तो कृपा करके वे पत्र लिखें ताकि मैं स्पष्ट कर सकूँ या मूल सुधार सकूँ।

प्रस्तावना पूरी करनेके पहले मैं अनुरोध करता हूँ कि आप इसमें सहयोग दें; अर्थात् इसे खरीदकर मेरी सहायता करें और इससे भी ज्यादा जरूरी बात है कि इसे पढ़ें ताकि आप स्वयं भी लाभान्वित हो सकें। जिन तथ्योंका अन्य सूत्रोंसे पता पाना आसान है, साधारणतः उन्हें इस संदर्शिकामें नहीं दिया गया, परन्तु सूत्रोंका उल्लेख कर दिया गया है। वर्तमान पुस्तकोंसे सूचना एकत्रित करना इस पुस्तिकाका उद्देश्य नहीं था, बल्कि जो-कुछ अबतक उनमें प्राप्त नहीं है वही देनेका प्रयत्न करना इसका उद्देश्य रहा है।

अध्याय १

इंग्लैंड किसे जाना चाहिए?

मोटे तौरपर कह सकते हैं, उन सब व्यक्तियोंको जिनमें इंग्लैंड जानेकी सामर्थ्य हो, इंग्लैंड जाना चाहिए; बेशक यहाँ “सामर्थ्य" शब्दका व्यापक अर्थ लेना उचित होगा। इस तरह कुछ व्यक्ति धनकी कमीके कारण, कुछ अपने बिगड़े हुए स्वास्थ्यके कारण, कुछ आयुके कम होने या अन्य कठिनाइयोंके कारण इंग्लैंड नहीं जा सकते। निम्न अनुच्छेदोंमें इन सभी बातोंपर संक्षिप्त रूपसे विचार किया जायेगा।