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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

जिनके पास धन हो, जिनका स्वास्थ्य अच्छा हो या आयु ठीक हो उन्हें इंग्लैंड जाना चाहिए। परन्तु इतना ही काफी नहीं है। ऐसे सभी व्यक्ति पूछ सकते हैं कि "हम इंग्लैंड क्यों न जायें?" और मैं उसका जवाब दूंगा कि व्यापार, यात्रा या शिक्षा प्राप्त करनेके लिए आजकल बहुतसे लोग वहाँ जाते हैं। कुछ लोग सैरकी दृष्टि से जाते हैं; यों व्यापारके लिए जानेवाले लोग कम ही हैं। हालाँकि किसी भी देश की वास्तविक समृद्धिके लिए व्यापार सबसे महत्त्वपूर्ण है। भारतको सबसे ज्यादा जरूरत व्यापार बढ़ानेकी है। और इस बातको सभी जानते है कि विभिन्न व्यापारोंके सम्बन्ध-में जानकारी पानेके लिए इंग्लैंड सर्वश्रेष्ठ स्थान है। मैं यह तो बिलकुल ही नहीं कहता कि व्यापार करना सिर्फ इंग्लैंडमें ही सीखा जा सकता है। वहाँ तो हम उन लोगोंके व्यापार करनेका ढंग सीख सकते हैं। यदि कोई इंग्लैंडसे व्यापार बढ़ाना चाहे तो उसे उस देश और वहाँके लोगोंकी जितनी ज्यादा जानकारी होगी, वह उतना ही उसके लिए लाभकारी होगा। इसका तात्पर्य यह हुआ कि ऐसे व्यक्तिको खास इसी उद्देश्यसे इंग्लैंड जाना चाहिए। जो लोग वहाँ शिक्षा या सैरके लिए जाते हैं, उनका इरादा न तो व्यापार सम्बन्धी बातोंका अध्ययन करनेका होता है और न उनके लिए वह सम्भव ही है। वहाँ विभिन्न प्रकारके व्यवसायोंका अत्यन्त कुशल संचालन देखने में आता है। हम वहाँ यह भी देखते है कि बड़े-बड़े कारखानोंको कैसे चलाया जाता है। जिसे व्यापार सम्बन्धी ज्ञान है वह जान सकता है कि किन चीजोंका व्यापार करनेसे लाभ होगा। फिर यदि हम अंग्रेजोंसे सीधा सम्पर्क स्थापित कर सकें, तब हमें किसी ऐजेंसीकी मार्फत व्यापार करनेकी जरूरत नहीं रहेगी। मुझे मालूम है कि कुछ भारतीय इंग्लैंडमें बस गये हैं और वहाँ व्यापार कर रहे हैं। यहाँतक तो बात ठीक है, पर इतना ही पर्याप्त नहीं है। मुझे यह कहते हुए खेद है कि इन व्यापारिक मण्डलोंका प्रबन्ध कदापि संतोषजनक नहीं है और परिणामस्वरूप उनका व्यापार बहुत बढ़ा-चढ़ा नहीं है। मैं चाहता हूँ कि शिक्षित व्यापारी जिन्हें अंग्रेजीका अच्छा ज्ञान है, वहाँ जायें, वहाँके लोगोंसे मिले-जुलें, उनकी सफलताका रहस्य जानकर भारत लौटें और आवश्यक सुधार करनेके बाद इंग्लैंड और भारतमें शाखाएँ खोलें। मुझे बताया गया है कि हम इंग्लैंडमें नक्काशीकी हुई लकड़ी और पत्थर तथा पक्षियोंके पंखोंका अच्छा व्यापार कर सकते हैं। सभी जानते हैं कि भारतके प्रायः सभी हिस्सोंमें प्रतिदिन पक्षियोंके कितने पंख बरबाद हो जाते हैं। किन्तु उन्हें यूरोपमें बिक्रीके लिए भेज सकते हैं। हम सिर्फ अपने अज्ञान और उदासीनताके कारण सच्चा धन बरबाद कर रहे हैं। यह तो कुछ-एक उदाहरण हैं। और भी ऐसी कई चीजें होंगी जो इंग्लैंडमें बेची जा सकती हैं। हम नहीं जानते ये चीजें कौन-सी है और यही मालूम करनेके लिए हमें इंग्लैंड जाना चाहिए। क्या कभी ऐसा समय आयेगा जब प्रत्येक व्यापारिक पेढ़ी अपना प्रतिनिधि इंग्लैंड भेजने लगेगी?

अब यात्राके बारेमें।

व्यापारी और विद्यार्थी दोनों अपने कामके साथ-साथ थोड़ी सैर भी कर सकते है। पर वे ऊँचे दर्जे के यात्री नहीं कहे जा सकते। जो लोग यात्राको अपना मुख्य