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लन्दन-संदर्शिका

है। हाँ, यह भी उतना ही महत्त्वपूर्ण है कि कम कपड़े भी न पहने जायें। जहाजके पोर्ट सईद पहुँचनेतक बनियान और जाँघियेकी जरूरत नहीं पड़ेगी, क्योंकि बम्बईसे पोर्ट सईदतक मौसम भारतसे ज्यादा ठण्डा नहीं होता। यदि पोर्ट सईदसे चलनेके बाद ठण्ड लगे तो सूती बनियान और जाँघिया पहन सकते हैं, जरूरत हो तो गर्म पहन लें। ब्रिडिसी पहुँचनेतक तो बड़े कोटकी ओर देखनेकी भी जरूरत नहीं है। इतना अवश्य जान लें कि सबके लिए एक ही बात ठीक नहीं हो सकती। कपड़ोंके बारेमें कोई पक्के नियम नहीं बनाये जा सकते । साधारणत: सबके मन में यह धारणा है कि बन्दरगाह छोड़ते ही जाँघिया, बनियान तथा बड़ा कोट पहनना एकदम आवश्यक है। सिर्फ इसी धारणाको दूर करने के लिए मैंने ऊपरकी बात कही है। सबसे अधिक बचत तो इसी बातमें है कि जैसे-जैसे ज्यादा ठंड लगे वैसे-वैसे ज्यादा और अधिक गर्म कपड़े पहनने लगें ।

सफेद कमीजोंको मैने लगभग छोड़ ही दिया है। कुछ लोग इनके बिना काम चलाना कठिन मान सकते हैं; पर उनको यह बात कठिन इसलिए नहीं लगती कि उस जलवायुमें इन कमीजोंकी आवश्यकता हो, बल्कि इसलिए कि पहनना एक फैशन है। पर यह पुस्तक तो उन लोगोंके लिए है जो कम खर्च करके भी सम्मानपूर्वक रहना चाहते हैं। फैशनकी दृष्टिसे भी कोई रास्ता बखूबी निकाला जा सकता है, खासकर ऐसा फैशन अपनाकर जो ज्यादा खर्चीला या हानिकर न हो; फैशनको बिलकुल अवज्ञा नहीं करनी चाहिए। मैंने सफेद कमीजें इसलिए छोड़ दी है कि उनसे हर सप्ताह धुलाईका खर्च काफी ज्यादा बढ़ जाता है। एक सफेद कमीजकी धुलाई ४ पेंस होगी, जब कि फलालैनकी कमीज सिर्फ २ पेंसमें धुल जायेगी। साथ ही जहाँ फलालैनकी एक ही कमीज हफ्ते-भरके लिए काफी है, वहाँ दो सफेद कमीजें हफ्ते-भर काम नहीं देंगी। वे फलालैनकी कमीजोंसे जल्दी गन्दी हो जाती हैं। सच तो यह है कि इंग्लैंडके कुछ ऐसे लोगोंने जो लकीरके फकीर नहीं है अब फैशनकी परवाह करना छोड़ दिया है और कलफ लगे कपड़ोंका बिलकुल परित्याग कर दिया है। उन्होंने कलफ लगे कालर, कफ और कमीजोंको छुट्टी दे दी है। चिकित्सकोंने भी बहुत ज्यादा माँड़ लगानेका विरोध शुरू कर दिया है और सफेद कमीजोंमें माँड़ लगाये बिना काम नहीं चलता। माँड़ शरीरके लिए हानिकर माना गया है। कुछ भी हो, इस बातसे इनकार नहीं किया जा सकता कि फलालैनकी कमीजें ज्यादा आरामदेह होती है और अंतमें लिननकी कमीजोंसे सस्ती पड़ती है।

फिर भी यदि फैशनके मुताबिक ही रहना हो, जो कि काफी हदतक ठीक है, आप उसकी अवज्ञा नहीं करना चाहते तो बिना कालरकी फलालैनकी कमीजें पहनें,कालर और कफ सफेद इस्तेमाल करें। दूसरोंको लगेगा कि आप सफेद कमीज ही पहने हुए हैं। लन्दनमें हजारों लोग यह चतुराई बरतते है और कभी-कभी तो इससे बहुत सुविधा रहती है। और यदि आप कभी लन्दनके किसी शौकीन आदमीकी तरह दिखना चाहें तो सूचीमें इसका भी प्रबन्ध कर दिया गया है। आप देखेंगे कि सूचीमें एक सफेद कमीजका उल्लेख है। आप उसे गाहे-ब-गाहे पहन भी सकते है।