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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

पुरानी बात हो गई है। आपको यह सुनकर आश्चर्य होगा कि अब मैं लन्दन में भी अपने रहन-सहनका खर्च तीन पौंडतक सीमित रख पाता हूँ।

इन सब तथ्योंको देखते हुए मुझे आशा है कि पाठकोंको यह समझने और मेरे साथ सहमत होने में कोई कठिनाई नहीं होगी कि यदि व्यक्तिकी इच्छा हो तो वह १ पौंड या उससे भी कम रकममें इंग्लैंडमें रह सकता है।

अब हम इस प्रश्नका उत्तर देंगे कि ९ शिलिंगमें सप्ताह-मर कैसे काम चलायें।

सबसे पहले शायद यह बता देना चाहिए कि कम खर्च में काम चलाना हो तो भोगकी सभी चीजोंसे दूर रहना चाहिए जैसे चाय, काफी, तम्बाकू, शराब और मांसाहार । यह बात अन्त में लिखी गई है, पर यह किसी भी तरह कम महत्त्वपूर्ण नहीं है।

ऐसे भी लोग हैं जो कहेंगे कि चायके बिना इंग्लैंडमें काम चलाना असम्भव है; कुछ कहते हैं कि काफीके बिना नहीं चला सकते; यह कहनेवाले भी हैं कि आप तम्बाकू, शराब या मांसके बिना जीवित नहीं रह सकते। इन सब सज्जनों से पूछना चाहिए कि उन्हें जानकारी किस सूत्रसे मिली है। इसीसे समस्या हल हो जायेगी। यह कथन निरर्थक बकवास है। मांसके बारे में मतभेद है। लेकिन जहाँतक बाको चीजोंका सवाल है इंग्लैंडसे लौटनेवाला हर भारतीय आपको बता सकता है कि इनमें से एक भी चीज आवश्यक नहीं है। हाँ, आप चाहें तो अपने आनन्द और मजेके लिए उनका सेवन कर सकते हैं। फिर भी लन्दनमें चाय या काफोके विषय में लोगोंका क्या विचार है ? चाय और काफीके बारेमें डा. निकोलस कहते हैं :

चाय या काफी जैसे कम नशीले पेयोंमें भी कोई विशेष पौष्टिक तत्व नहीं होते। काश! चायकी पत्तियों या काफीके दाने भी उतने ही पौष्टिक होते, जितना कि उतने वजनका शाक, परन्तु हम जो पेय लेते हैं उनमें तो पौष्टिकता नाम-मात्रको ही मिलती है। जहाँतक भोजन का सवाल है और शरीरको पोषण देने की योग्यताका सवाल है, एक औंस रोटीमें धड़ों चाय या काफीसे ज्यादा गुण हैं। उनमें मिलाई जानेवाली चीनी और दूध तो भोजन है, लेकिन शेष सब लगभग बेकार है। उनमें नशीले और शामक तत्त्व होते हैं। इस कारण उनके सेवनसे भूख कम लगती है। कुछ शरीर शास्त्रियोंका विचार है कि इससे किये हुए भोजनका कोई अंश बेकार नहीं जाता और इसलिए कम भोजनकी जरूरत होती है। यदि यह सच है तो इससे हानि होगी, क्योंकि कुछ भोजन- का बेकार जाना और उस बेकार अंशका निकल जाना शरीरको स्वस्थ बनाये रखने के लिए जरूरी है। चाय और काफो तो सिर्फ उत्तेजक पेय हैं और उनका या तो शरीरपर जो प्रभाव पड़ता है वह बिलकुल मामूली लाभ पहुंचाता है या फिर वह प्रभाव हानिकर ही होता है। दोनों ही को खूब उबाल कर पीनेसे मस्तिष्क और शिराओंको उत्तेजना मिलती है जिसके फलस्वरूप हम ज्यादा काम करते हैं। कुछ हदतक तो ये पेय थकानको दूर करते हैं जिससे