हम अपनी शक्तिका अति उपयोग करते चले जाते हैं, और फिर कालान्तरमें हम अजीर्ण, वातशूल, मानसिक दुर्बलता, पक्षाघात आदिके शिकार बन जाते हैं।
चायकी चर्चा करते हुए एक सुविख्यात और अनुभवी भारतीय डाक्टरका कथन है कि उनके मरीज जबतक चाय नहीं छोड़ देते, वे उनकी चिकित्सा नहीं करते। फिर भी यदि चाय-काफीका सेवन करना हो तो उससे खर्च इतना नहीं बढ़ता जितना कि उनके कारण पौष्टिक भोजनमें कमी हो जाती है। क्योंकि वे दूधका स्थान लेंगे और दूध तो चाय या काफी दोनोंसे कई दर्जे अच्छा है। आर्थिक दृष्टिसे देखें तो घरमें बनाये हुए एक कप चाय या काफीका मूल्य एक गिलास दूधसे कम होगा। यदि चाय पीनी ही हो तो उसके लिए घनीकृत (कन्डेन्स्ड) दूधका इस्तेमाल ज्यादा अच्छा होगा, क्योंकि सिर्फ एक-दो कप चायके लिए दूध खरीदना कठिन हो जायेगा। हाँ, दूधकी ही चाय बनाई जाये तो दूसरी बात है।
जहाँतक तम्बाकूकी बात है वह तो निश्चय ही स्वास्थ्यके लिए हानिकर है। विषय-भोगकी इस महँगी चीजसे लाभ कुछ नहीं और नुकसान बहुत ज्यादा है। जैसा कि आप जानते ही होंगे, तम्बाकू इंग्लैंडमें बहुत महँगा है। यदि उसका सेवन करें तो साधारणत: रोज ६ पेंस खर्च करने पड़ेंगे। इंग्लैंडमें अपने तीन सालके प्रवासके दौरान एक भारतीयको उसपर ३० पौंड खर्च करने पड़े थे। एक अच्छे सिगारका मूल्य ४ से ६ पेंस तक और एक सिगरेटका मूल्य १ पेंस है। एक पैनीके पांच सिग-रेट तक खरीदे जा सकते हैं । लेकिन ये बहुत घटिया किस्मके होते हैं। उसमें तम्बाकूका चूरा या गोभीकी सूखी पत्तियाँ मिली होती हैं। इसलिए एक पौंडसे भली-भांति निर्वाह करनेके लिए तम्बाकूसे एकदम [ दूर रहना ] अत्यन्त आवश्यक है। तम्बाकूको चाहे खायें, पियें, या नस्यकी तरह उसका उपयोग करें, उससे कोई पौष्टिक तत्त्व नहीं प्राप्त होते; वह तो एक तेज जहर ही है। यह जहर खूनमें जाने के बाद पहले मस्तिष्क और शिराओंको उत्तेजित करता है, फिर उन्हें चेतनाशून्य करते हुए अन्तमें जड़ बना देता है।
काउन्ट टॉलस्टॉय जिनसे ज्यादा शराब और सिगरेट पीनेवाले लोग कम ही होंगे, इन दोनोंका घृणापूर्ण शब्दोंमें यों वर्णन करते हैं :
लोग शराब और सिगरेट इसलिए नहीं पीते कि उनके पास कोई और काम नहीं है या उन्हें समय बिताना है या ऐसा करने से उन्हें जोश आता है या आनन्द प्राप्त होता है। वे तो सिर्फ इसलिए पीते हैं कि उन्हें अपनी अन्तरात्माका विरोधपूर्ण स्वर न सुनाई दे। इस उक्तिके स्पष्टीकरणके लिए वे कहते है:
जिस कमरेमें लोग बैठे हैं, उसमें पानी फैलानका ढाढस कोई भी व्यक्ति नहीं करेगा। न उसमें आकर चीखने चिल्लानका या कोई ऐसा ही अन्य काम करेगा, जिससे दूसरोंको हानि या कोई परेशानी हो। लेकिन जो हजारों लोग
१. यहाँ पाण्डुलिपि कुछ फटी हुई है।