पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 1.pdf/१५०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१०८
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

पर अगर पहले ही वहाँ बहुत-से लोग काम कर रहे हों तो ज्यादा लाभ नहीं हो सकता। तो फिर जिन प्रान्तोंमें कोई नहीं है, वहाँ क्यों न जायें?

फिर मुझे बताया गया है कि संरक्षित रियासतोंमें भी बैरिस्टरों और अन्य सभी शिक्षित व्यक्तियोंको कामके लिए अवसर मिले बिना नहीं रहेगा। ये रियासतें अभी बहुत पिछड़ी हुई हैं। आशा है कि उनमें सुधार किये जायेंगे। मौका आनेपर वहाँ सहायताके लिए देशके शिक्षित वर्गकी पुकार होने की सम्भावना है। फिर एजेंसियाँ शिक्षाकी अत्यधिक अवहेलना करने और दूसरे प्रभावोंको महत्त्व देने के लिए बदनाम है। किसी न किसी दिन यह स्थिति भी सुधरेगी ही।

लेकिन मेरे कथनका गलत अर्थ लगाकर बहुतसे लोग बैरिस्टर बननेके लिए इंग्लैंड न चल दें। बैरिस्टर बनना ठीक है या नहीं, इस प्रश्नपर विचार करना इस पुस्तिकाके क्षेत्रसे बाहर है। इस सम्बन्धमें मार्ग-दर्शनके लिए और कई पुस्ति- काएँ है। सच तो यह है कि मुझे साफ-साफ यह स्वीकार करना होगा कि मैं इस विषयमें सलाह देनेके सर्वथा अयोग्य हूँ। जो लोग बैरिस्टर बननेका निर्णय कर चुके है ,मैं तो सिर्फ उन्हें यह बताना चाहता हूँ कि उन्हें क्या खर्च करना पड़ेगा, कौन-सी परीक्षाएँ पास करनी होंगी, प्रवेश कैसे मिलेगा, आदि। काफी संकोच और दुविधाके बाद ही मैंने ऊपरके ये अनुच्छेद यहाँ देनेका निर्णय किया है।

मान लीजिए कि आप बैरिस्टर बननेका निर्णय कर चुके है, तब आपका सबसे पहला काम होगा मैट्रिक पास कर लेनेका प्रमाणपत्र प्राप्त करना। यदि आपने मैट्रिककी परीक्षा नहीं पास की होगी तो आपको प्रवेश पानेसे पूर्व एक परीक्षामें बैठना होगा। यह परीक्षा इतिहास और लैटिन भाषाकी होती है। किन्तु भारतीय विद्यार्थियोंको प्रार्थनापत्र देनेपर लैटिनकी परीक्षामें न बैठने की छूट दे दी जाती है। परीक्षा काफी आसान है।

इसके बाद आपको १ गिन्नीका प्रवेश-पत्र मिलता है और लगभग १४१ पौंड फीसके रूपमें देने पड़ते हैं।

जो व्यक्ति किसी विश्वविद्यालयमें प्रवेश लेते हैं उन्हें प्रारम्भमें १०० पौंड न देनेकी छूट मिल जाती है, पर उन्हें यह रकम अन्तमें भरनी पड़ती है। जिन व्यक्तियोंने ब्रिटिश साम्राज्यके किसी विश्वविद्यालयकी परीक्षा पास की हो, 'लिंकन्स इन' में सिर्फ उन्हें यह फीस न देने की छूट मिलती है। मैं नहीं जानता कि यह बात भारतीय विश्वविद्यालयोंपर भी लागू होती है या नहीं। चार संस्थाएँ है: इनर टेम्पल, मिडिल टेम्पल, लिंकन्स इन और ग्रेस इन। इन विभिन्न संस्थाओंके कोषाध्यक्षको पत्र लिखकर तत्सम्बन्धी जानकारी सीधे ही प्राप्त की जा सकती है। शायद आर्थिक दृष्टिसे लिंकन्स इन सर्वश्रेष्ठ है, फिर उसका पुस्तकालय भी सबसे अच्छा माना जाता है। अधिकतर भारतीय मिडिल टेम्पलमें प्रवेश लेते हैं। शिक्षाकी दृष्टि से सभी संस्थाएँ एक-समान हैं, क्योंकि उनकी परीक्षा एक ही होती है। मिडिल टेम्पलमें सबसे ज्यादा छात्रवृत्तियाँ मिलती हैं। फिर मिडिल टेम्पलको इन छात्र- वृत्तियोंमें धन नकद दिया जाता है। आप यदि इनर टेम्पलके विद्यार्थी हैं तो आपको न्याय सदन में प्रवेश दिलाकर आपकी फीस भर दी जायेगी।