पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 1.pdf/१५२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
११०
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

सम्पत्ति कानून, दण्ड विधि और न्याय प्रणाली सहित आम कानूनोंकी होती है और चार दिन चलती है। पहले इसमें तीन दिन लगा करते थे, परन्तु अब न्याय-प्रणालीके एकके स्थानपर दो पर्चे होते हैं।

सम्पत्ति कानूनके लिए निर्धारित पाठ्यपुस्तकें हैं :

विलियम लिखित 'रियल प्रॉपर्टी'

विलियम लिखित ' परसनल प्रॉपर्टी'

गोडीव लिखित 'रियल प्रॉपर्टी'

गोडीव लिखित 'परसनल प्रॉपर्टी'

एडवर्ड लिखित 'कॉम्पेनडियम ऑफ द लॉ ऑफ प्रॉपर्टी इन लैंड'

सामान्यतः विद्यार्थी विलियम और गोडीवकी 'रियल प्रॉपर्टी' और गोडीवकी परसनल प्रॉपर्टी' पढ़ना ही काफी समझते हैं।। बहुत कम विद्यार्थी विलियमकी परसनल प्रॉपर्टी' पढ़ते हैं। इनके अतिरिक्त वे परीक्षाके लिए कई संदर्शिकाएँ भी पढ़ते हैं। आम कानूनोंके लिए निर्धारित पुस्तक है बमकी 'कॉमन लॉ'। फिर भी विद्यार्थी साथमें इन्डेरमोरकी कामन लॉ' भी पढ़ लेते हैं या ब्रूमकी पुस्तकके बदले सिर्फ इसे ही पढ़ लेते हैं।न्याय-प्रणालीके लिए निर्धारित पुस्तक स्नेल लिखित 'इक्युटी' है।

परीक्षाकी विषय-वस्तु प्रायः हर वर्ष बदल दी जाती है। इस प्रकार सामान्यतःअंग्रेजी कानूनोंका यथेष्ट ज्ञान होना आवश्यक है ही और साथ ही कुछ विशेष विषय भी प्रति वर्ष निर्धारित किये जाते है। उदाहरणके लिए व्हाइट और टयूडरकी 'लीडिंग केसेज इन इक्युटी 'में न्याय-प्रणालीके कुछ विशिष्ट अंश नियत कर दिये जाते हैं (जैसे न्यास, बन्धक सम्बन्धी कानून)। जिन लोगोंने कानून सम्बन्धी आम सिद्धान्तों-का अच्छी तरह अध्ययन किया हो, उन्हें पास होने में कोई कठिनाई नहीं होती।

कौंसिल ऑफ लीगल एजूकेशन की सबसे हालकी नियमावली' यहाँ दी जा रही है।

कई लोगोंको ऐसा भ्रम है कि विद्यार्थी बिना किसी परीक्षाके वकील बन जाते हैं या कि उसका नाटक ही किया जाता है। इन दोनों बातोंका कोई आधार नहीं और यह निठल्ले लोगोंकी कोरी कल्पना है।

इसमें सन्देह नहीं कि ये परीक्षाएँ सरल है या सरल लगती हैं। सामान्यत:परीक्षा-फल अच्छा रहता है। परीक्षाएँ सरल लगने के दो-तीन कारण हैं।

पहला तो यह कि परीक्षा सालमें चार बार होती है, इसलिए यदि विद्यार्थी उत्तीर्ण न हो तो उसे उतना दुख नहीं होता, जितना कि भारतमें। इंग्लैंड में वह तीन माह पश्चात् फिर परीक्षामें बैठ सकता है

दूसरा कारण यह है कि विद्यार्थीके पास तैयारी के लिए पर्याप्त समय होता है। प्रतिदिन छ: घंटे पढ़नेसे दोनों परीक्षाएँ एक वर्ष में पास की जा सकती है, पर असफल होनेकी कोई गुंजाइश ही न रहे इसके लिए विद्यार्थीको पूरे दो वर्षका समय

१. यह उपलब्ध नहीं है।