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लन्दन-संदर्शिका

यह सोचकर लन्दनमें खर्च न कर दें कि उससे वहाँ आपका जीवन ज्यादा आनन्द-पूर्ण हो सकता है।

अब मैं अपने मुख्य विषयसे थोड़ा-सा हटकर यहीं यह बता देना चाहता हूँ कि आप वहाँ ४२० पौंड खर्च करते हुए जो जीवन व्यतीत करेंगे वह हर दृष्टि से भारतके कई विद्यार्थियोंके जीवनसे ज्यादा आनन्दपूर्ण होगा और यह भी ध्यान रहे कि १०,००० में प्राप्त आनन्द-भोगकी वस्तुओंसे आपको सन्तोष नहीं होगा। इतना ही होगा कि आप और अधिक धनकी इच्छा करने लगेंगे, जिससे अपने धनी भाइयोंसे होड़ कर सकें, किन्तु सच तो यह है कि इससे आप ज्यादा ही दुःखी होंगे। यदि आप कहें कि इंग्लैंडमें एक कमरा काफी नहीं होगा तो मैं आपसे पूछता हूँ कि यहाँपर आपके पास क्या है? आप धनी बापके बेटे हों तो भी क्या आप दो या तीन व्यक्ति एक ही कमरेमें नहीं सोते--एक ऐसे कमरेमें जिसमें फर्शपर कालीन नहीं, जिसमें कोई फर्नीचर नहीं, शायद ही एकाध खिड़की है और जिसके चारों ओर गंदी नालियाँ है ? क्या आपने बम्बईमें एक ही कमरेको रसोई, बैठक या सोनेके कामके लिए इस्तेमाल नहीं किया? मैने तो कुछ ऐसे धनी विद्यार्थी भी देखे है जो रुपया पानीकी तरह नहाते हैं, पर ऐसे गन्दे घरोंमें रहते हैं जहाँ रोज झाडू भी नहीं लगाई जाती। क्या आप यह कहते हैं कि पुस्तिकामें बताये गये भोजनसे आप निर्वाह नहीं कर सकते ? यदि ऐसा हो, तो आप दयाके पात्र ही कहला सकते हैं। मुझे विश्वास है कि आपको यहाँ भी इससे अच्छा खाना नहीं मिलता। क्या आपको भारतमें खानेको तो क्या, चखनेको भी फल मिलता है? क्या भारतमें आप दो बार भोजनसे काम नहीं चलाते? और दूध एक ही बार नहीं पीते? या आपका कहना है कि आप अपना खाना नहीं बना सकते। यदि ऐसा हो तो आपके धर्मके सवालको छोड़कर जरूरी नहीं है कि आप लन्दन में भी भोजन बनायें। और अगर आप नहीं बनाते तो क्या कई दूसरे विद्यार्थी भारतमें भोजन स्वयं नहीं बनाते, और बनाते भी कैसे हैं ? छोटे-छोटे चूल्होपर, आगको फूंक-फूंककर। इसमें कभी-कभी उनके कपड़े भी खराब हो जाते है और खाना बनाते-बनाते धुंएसे आँखें लाल हो जाती है। इसके बदले इंग्लैंडमें एक पौंड प्रति सप्ताह खर्च करनेपर क्या मिलता है ? एक अच्छा आरामदेह कमरा, एकदम साफ-सुथरा, जिसमें एक सुन्दर कालीन, पंखके गद्देवाला सुन्दर पलंग, दो तकिए, दर्पण, हाथ-मुँह धोनेकी मेज, कुर्सियाँ, आदि रहती हैं (पीछे दिया गया वर्णन देखें)। यह कमरा सिर्फ आपके लिए है। घरकी नौकरानी हमेशा आपका बिस्तर लगा जाती है, बर्तन साफ कर जाती है, हर वक्त आपकी सेवा के लिए हाजिर रहती है। और आपके लिए घरका सारा काम करती है। उसे बुलाने के लिए आपको जोरसे पुकारना भी नहीं पड़ता, बस घंटी बजा दें और वह दरवाजेपर हाजिर होकर खटखटाती है। वह उसी समय कमरेमें प्रवेश करेगी जब आप आनेके लिए कहेंगे। ऐसा जीवन तो किसी प्रकार भी कष्टपूर्ण नहीं है और यदि आप इसे कष्टपूर्ण मानते हैं तो १०,००० से वह कम कष्टपूर्ण नहीं हो जायेगा।

१. अंग्रेजीमें यहाँ 'काटना' शब्द लिखा है जो स्पष्टतथा भूल है।