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लन्दन-संदर्शिका

ऐसा कह रही है क्योंकि आप सोच रही होंगी, मांस पकाया जायेगा; किन्तु आप मुझे खाना बनानेकी आज्ञा देंगी तो उससे कमरा खराब नहीं होगा, क्योंकि मैं तो सिर्फ दलिया बनाना और दूध उबालना चाहता हूँ। और मैंने उससे यह भी कहा कि यदि कालीन गन्दा हुआ तो मैं उसके पैसे दे दूंगा। कुछ संकोचके बाद उन्होंने मेरा प्रस्ताव स्वीकार कर लिया और मैंने उसका कमरा ८ शिलिंग प्रति सप्ताह किरायेपर ले लिया। कमरेमें सामान रख देनेके बाद मैं शाकाहारी भोजनालयकी खोज करने चला गया। मुझे वह मिला नहीं और मुझे लगा कि मेरा प्रयोग असफल हो जायेगा। यह जानकर मैं और भी खिन्न हो उठा कि किसी भी भोजनालयका मालिक दोपहरके भोजनके लिए मुझे एक शिलिगमें शाकाहारी सूप, डबलरोटी और मक्खन देनेका प्रबन्ध करने के लिए तैयार नहीं है। उन सबको लगा कि एक व्यक्तिके लिए वे इतनी झंझट नहीं कर सकते। मुझे लगा कि अब बिलकुल कोई आशा नहीं है और मुझे सिर्फ दोपहरके भोजनके लिए ही दो या तीन शिलिंग देने पड़ेंगे। मैं इस बीच काफी थक गया था, भूख भी बहुत लगी थी, परन्तु मैने साहस नहीं छोड़ा। मुझे मालूम था, ब्राइटनमें रहते हुए मुझे आराम ही ज्यादा करना है और पढ़ाई भी बहुत नहीं करनी है; तब फिर, मैंने सोचा, यदि मैं दो बार खाना बना सकता हूँ तो तीन बार ही क्यों न बना लूं? जैसे ही बात मनमें आई, मैंने फैसला कर लिया। एक पंसारीकी दूकानसे जाकर आवश्यक वस्तुएँ खरीद ली और अपने निवास स्थानपर चला गया।

वहाँ पहुँचकर मैने मकान मालकिनको बताया कि उन्होंने मुझे दो बार भोजन बनानेकी आज्ञा दी थी; किन्तु मुझे तीन बार बनाना पड़ेगा। वे बहुत क्रुद्ध हुई और अगर मैं किराया ८ शिलिंगसे बढ़ाकर १० शिलिंग करनेका प्रस्ताव न करता तो शायद मुझे घरसे ही निकाल देती। उसके बाद मैं काममें लग गया। पहली शाम मैंने दलिया और फलोंको पकाया और मुझे ये चीजें बहुत अच्छी लगीं। दूसरे दिन सुबह भी यही चीजें बनाईं।

दोपहरके भोजनके लिए मैने सेमका सूप बनाया जो बहुत अच्छा और पौष्टिक साबित हुआ। [चार] सप्ताहके भोजनका प्रबन्ध मैंने इस तरह किया। नाश्तेके लिए मैं डबलरोटी व दूध और पके हुए फल तथा डबलरोटी और मक्खन लेता था (३ पेंस)। दोपहरके भोजनके लिए सूप (१३ पेंस), स्ट्राबरी (२ पेंस) और डबल-रोटी (१ पेंस)। शामके भोजनके लिए मैं दलिया (१३ पेंस), डबलरोटी और मक्खन और फल (२ पेंस) लेता था। इस तरह मैं ब्राइटनमें भोजनके लिए ज्यादासे ज्यादा ११ पेंस या १ शिलिंग ही खर्च किया करता था। किरायेके १० शिलिंग, धुलाईके लिए ३ शिलिंग, इस तरह चार सप्ताहतक रहने-खानेका पूरा खर्च पौंड ३-१०-० बैठा। ब्राइटन आने-जानेके किरायेमें पौंड ०-८-५ खर्च हुए। इस तरह मैं चार पौंडमें ब्राइटन जाकर चार सप्ताह रह सका।

अपने ब्राइटन-वासके अन्तिम सप्ताहमें मुझे मालूम हुआ कि वहाँ एक शाकाहारी निवासगृह भी है जिसमें भोजन और रहने के लिए ४ शिलिंग प्रति सप्ताह देकर